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कन्नौज: कोरोना में गई नौकरी तो यूट्यूब से सीखकर गांव में शुरू कर दी पपीता की खेती - FARMERS OF kannauj making PROFIT

कन्नौज जिले में स्थित हसेरन गांव निवासी सचिन मिश्रा का रोजगार कोरोना काल में छीनने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और यूट्यूब के माध्यम से पपीता की खेती सीख कर करीब 1500 पपीता के पौधे लगाकर खेती करनी शुरू कर दी. उन्नत खेती के प्रति शिक्षक की ललक आसपास के गांवों के युवाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई है.

पपीते की खेती.
पपीते की खेती.

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Published : Oct 12, 2021, 12:44 PM IST

कन्नौज:कोरोना संक्रमण में रोजगार छिना तो जिले के हसेरन कस्बा के रहने वाले शिक्षक ने यूट्यूब के माध्यम से पपीता की खेती सीख कर करीब 1500 पपीता के पौधे लगाकर खेती शुरू कर दी. शिक्षक की मेहनत का ही नतीजा है कि आज खेत में फसल लहला रही है. खेत में फलदार वृक्षों को खड़ा देख आसपास के किसान भी उन्नत खेती की ओर रूख कर रहे है. शिक्षक दूसरे किसानों को भी उन्नत खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे है. साथ ही लोगों को स्वरोजगार की राह भी दिखा रहे है. उन्नत खेती के प्रति शिक्षक की ललक आसपास के गांवों के युवाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई है. जैविक विधि से खेती करने में लागत भी कम आ रही है.

यूट्यूब से सीखकर शुरू की पपीता की खेती

हसेरन गांव के रहने वाले सचिन मिश्रा बताते है कि वह एक संस्था में प्रधानाचार्य थे. 2019-20 को कोराना महामारी के चलते संस्था बंद हो गई. जिसके चलते वह बेरोजगार हो गए. काम न होने की वजह से कुछ अलग करने का विचार आया. बताते है कि पहले यूट्यूब के माध्यम से पहले पपीता की खेती करना सीखा. उसके बाद यूट्यूब के माध्यम से कॉट्रेक्ट के माध्यम से खेती करवाने वाली कंपनी से जुड़े. कंपनी से 1500 पौधों की बुकिंग कराया. उसके बाद कंपनी ने पौधे भेजे. बताया कि कंपनी खेती करने पूरी जानकारी देती है. उनकी देखरेख में खेती कर रहे है.

जानकारी देते किसान सचिन मिश्रा.

किसान सचिन मिश्रा ने बताया कि कंपनी रासायनिक खेती के बारे में जानकारी देती है, लेकिन उन्होंने जैविक पद्धित से खेती की शुरूआत की. पौधों में आईएमसी का हर्बल एग्रोबूथ बूस्टर, नीम की खली का स्प्रे और एग्रोएक्टिवेटर का इस्तेमाल कर रहे है. बताया कि अभी पौधा 4 माह का हो गया है. जिसमें फल अच्छे आ रहे है. कई पौधों में 20-25 किलो के फल आ रहे है.

किसान सचिन मिश्रा बताते है कि उन्होंने 5 बीघा में पपीते की खेती की है. रासायनिक खेती में करीब एक से डेढ़ लाख रुपये तक का खर्चा आता है. वहीं जैविक पद्धित से खेती करने से जमीन को भी नुकसान नहीं होता है साथ ही खेती की लागत भी बहुत कम हो जाती है. जिससे किसानों को कम लागत में अच्छी आमदनी होती है.

किसानों को उन्नत खेती के लिए कर रहे प्रेरित

पपीता की खेती कर किसान आसपास के गांवों में लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए है. इतना ही नहीं किसान आसपास इलाके के किसानों को भी जैविक खेती व उन्नत खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे है. बताया कि लागत कम होने के साथ फसल अच्छे दामों में बिक्री होती है. जिससे किसानों की आय दो गुनी होगी. जब किसान खुशहाल होगा तो देश भी खुशहाल होगा.

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