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कन्नौज: व्यापार पर कैसे घातक हो रहा है चीन का कोरोना वायरस - कोरोना वायरस

उत्तर प्रदेश के कन्नौज में कोरोना वायरस का असर कारोबार पर देखने को मिल रहा है. जिले में बिकने वाली इत्र की शीशियां ज्यादातर चीन से आती हैं. वहीं कोरोना वायरस के चलते चीन से आने वाले सामानों पर रोक लगा दी गई है.

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व्यापारियों पर कोरोना वायरस का खतरा.

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Published : Feb 10, 2020, 5:04 PM IST

कन्नौज:पड़ोसी देश चीन में फैले खतरनाक कोरोना वायरस का असर इत्र नगरी कन्नौज में भी देखने को मिल रहा है. चाइना से जुड़े कारोबार के साथ-साथ यह कोरोना का वायरस खुशबू कारोबार पर भी अपना असर छोड़ रहा है. कन्नौज इत्रनगरी में बिकने वाले इत्र को सहेजने वाली शीशियां ज्यादातर चीन से ही यहां आती हैं. ऐसे में अगर वहां आने वाले दिनों में वायरस पर कंट्रोल नहीं लग सका तो बाजार से चीन की खूबसूरत शीशियां गायब हो सकती हैं. इसे लेकर यहां के रिटेलर दुकानदार अभी से परेशान दिख रहे हैं.

देशभर में मोबाइल सहित ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक चीजें चीन से ही आती हैं. ऐसी चीजों को सस्ते और बेहतरीन तरीके से बनाए जाने में चीन आगे है. यही वजह है कि इत्र व्यापार में इस्तेमाल होने वाली इत्र की शीशियों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मेड-इन-चाइना का हो रहा है. कन्नौज में बनने वाली इत्र को खरीदते समय ग्राहक उसे जिन शीशियों में पैक करवाते हैं, वह ज्यादातर चीन में बनी हुई होती हैं. इत्र की दुकानों में डिस्पले काउंटर पर रखीं चीन की खूबसूरत शीशियों को देखकर ग्राहक उनमें ही इत्र लेना पसंद करते हैं. चीन की शीशियों के आगे किसी दूसरी शीशी में इत्र देने पर ग्राहक इनकार कर देते हैं.

व्यापारियों पर कोरोना वायरस का खतरा.
खूबसूरत बनावट और आकर्षिक होने से बढ़ती है चीन की शीशियों की डिमांड
खूबसूरत बनावट और बारीक कशीदाकारी वाली चीन की छोटी-छोटी शीशियां इत्र खरीदने वाले ग्राहकों की पहली पसंद हैं. ऐसे में जब चीन में कोरोना वायरस का असर दूसरे कारोबार पर पड़ रहा है और वहां से आने वाले सामान पर रोक लगा दी गई है तो उसका असर इत्र को सहेजने वाली खूबसूरत शीशियों पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है.
शीशियों की सप्लाई से जुड़े एक कारोबारी ने बताया कि अभी तो स्टॉक पर्याप्त है, लेकिन अगर चीन में वायरस का असर ज्यादा दिनों तक रहा और वहां से आने वाले सामान पर रोक जारी रही तो यह शीशियां बाजार से गायब हो सकती हैं. एक अनुमान के मुताबिक यहां हर महीने लाखों शीशियों की खपत होती है. इन शीशियों में पांच एमएल से लेकर 500 एमएल तक इत्र रखा जा सकता है. इनकी बनावट और सजावट काफी दिलकश होती है. ग्राहक उसके लिए कोई भी कीमत देने को तैयार हो जाते हैं. अपने घर आने वाले मेहमानों के सामने इन शीशियों में रखा इत्र पेश करते समय मेहमान काफी खुशी होते हैं.

दूसरी शीशियों की तुलना में कम कीमत में अच्छी
इत्र के कारोबार से जुड़े लोग बताते हैं कि इत्र खरीदने वाले 70 से 80 प्रतिशत ग्राहक चीन की शीशियों में ही इत्र लेना पसंद करते हैं. वह न सिर्फ दूसरी शीशियों के मुकाबले कम कीमत में मिलती हैं, बल्कि उनकी खूबसूरती भी ज्यादा होती है.

मुंबई के रास्ते यहां आती है इत्र से भी ज्यादा महंगी यह शीशियां
चीन में बनीं खूबसूरत शीशियां यहां मुंबई के रास्ते आती हैं. इत्र कारोबार से जुड़े लोग बताते हैं कि मुंबई में यह शीशियां कंटेनर से आती हैं. उसके बाद उन्हें यहां अलग-अलग संसाधनों से मंगाया जाता है और इसमें कुछ ऐसी शीशियां भी होती है, जिसमें भरे हुए इत्र की कीमत से ज्यादा शीशीयों की कीमत होती है. अमूमन दुकानों पर अपनी पसंद का इत्र खरीदने वाले ग्राहक जब शीशी को पसंद करते हैं तो उसकी कीमत इत्र से भी ज्यादा होती है. चूंकि इत्र की चाहत ऐसी होती है कि ग्राहक अपनी पसंद से कम कीमत वाला इत्र खरीदकर उसे महंगी कीमत वाली शीशियों में ही पैक करवाना पसंद करते हैं.

इत्र व्यापार के साथ-साथ मोबाइल पर भी संकट
कोरोना वायरस की वजह से इत्र व्यापार पर तो इसका असर देखने को मिल रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ अगर ऐसा ही रहा तो सबसे ज्यादा असर इलेक्टानिक वस्तुओं पर भी दिखेगा, जिससे मोबाइल दुकानदार खासा परेशान नजर आ रहे हैं. उनका साफ कहना है कि आने वाले कुछ ही समय में इसका ज्यादा असर देखने को मिलेगा. 90 प्रतिशत चीजें चाइना से ही आती है. इसका प्रभाव जरूर देखने को मिलेगा.

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