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सूखा राहत धनराशि की चेकों में धोखाधड़ी करने वाले दोषी को 4 साल की सजा - सूखा राहत धनराशि

कन्नोज के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम ने सूखा राहत धनराशि की चेकों में धोखाधड़ी करने वाले दोषी को चार वर्ष कारावास और पांच हजार रुपये का अर्थदंड की सजा सुनाई है. जुर्माना अदा न करने पर चार माह अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी पड़ेगी.

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जिला एवं सत्र न्यायालय

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Published : Jul 19, 2022, 5:47 PM IST

कन्नौजःकिसानों को दी जाने वाली सूखा राहत धनराशि की करीब 200 चेकों की धोखाधड़ी कर बैंक से रुपये निकालने के मामले में आरोप सिद्ध होने पर कोर्ट ने मंगलवार को दोषी को सजा सुनाई है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम विशंभर सिंह ने दोषी को चार वर्ष कारावास और पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर चार माह अतिरिक्त कारावास की सजा दी भुगतनी होगी. अभियुक्त को एजीजेएम कोर्ट से मामले में बरी कर दिया गया था. दोष मुक्त होने के बाद राज्य सरकार की ओर से सत्र न्यायालय में अपील की गई थी.

क्या है पूरा मामला
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी तरुण चंद्रा ने बताया कि जिला सहकारी बैंक फतेहगढ़ के शाखा संचालक सुरेश ने बीते 23 जून 2005 को इंदरगढ़ थाना में तहरीर दी थी. आरोप लगाया था कि कुछ काश्तकारों की सूखा राहत चेकों पर 20 प्रतिशत की कटौती कर भुगतान किया जा रहा है. बताया कि इसके बाद जब उन्होंने किसानों से पूछताछ की तो पता चला नेकापुर गांव निवासी प्रभात पुत्र राजाराम कनौजिया की मामले में संलिप्ता पाई गई.

प्रभात ने सूखा राहत की 200 चेकों में धोखाधड़ी कर अवैध रूप से 70,881 रुपये खाते से निकाल लिए. पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना करने बाद आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किए. मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से छह गवाह पेश किए गए. मंगलवार को अपर जिला एंव सत्र न्यायाधीश विशंभर प्रसाद ने आरोपी प्रभात को चार साल कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर चार माह की अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी पड़ेगी.

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पहले कोर्ट ने किया बरी, फिर सुनाई सजा
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि यह सजा राज्य सरकार की ओर से दोष मुक्ति निर्णय के विरुद्ध आयोजित की गई अपील को मंजूर करते हुए सुनाई गई है. अभियुक्त प्रभात को अवर न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शिल्पी चौहान ने 27 नवंबर 2019 को इस मामले में बरी किया गया था. जबकि आरोपी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मौजूद थे. फिर भी उसके दोष मुक्त हो जाने के कारण राज्य सरकार की ओर से सत्र न्यायालय में अपील की गई थी. जिसकी सुनवाई के बाद आरोपी को दोष सिद्ध करते हुए सजा सुनाई गई है. बताया कि सत्र न्यायालय में 6 मार्च 2020 को अपील की गई थी.

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