कन्नौजः एक तरफ सरकार जहां भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए है, वहीं दूसरी तरफ विभागों में बैठे अधिकारी और कर्मचारी सरकार की नीतियों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं. जिले की तिर्वा नगर पंचायत के खैरनगर रोड पर एक करोड़ 64 लाख रुपये की लागत से निर्माणाधीन कान्हा गोशाला भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है.
निर्माण के नाम पर हुई सिर्फ बाउंड्री
बताया जा रहा है कि कान्हा गोशाला की आधी किस्त यानी 82 लाख रुपये सरकार की तरफ से गोशाला निर्माण के लिए भेजे जा चुके हैं, जो तिर्वा नगर पंचायत के चेयरमैन और अधिकारियों द्वारा खर्च भी कर दी गई है. उसके बावजूद निर्माण के नाम पर सिर्फ गोशाला की बाउंड्री और तीन कमरे ही बन पाए हैं. पैसा न होने के अभाव में गोशाला निर्माण का कार्य रोक दिया गया है. नगर पंचायत द्वारा गोशाला निर्माण के लिए दूसरी किस्त मांगी गयी है. कान्हा गोशाला निर्माण कार्य रोके जाने के बाद मामला संज्ञान में आया, जिसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है.
एक करोड़ 64 लाख रुपये की लागत से हो रहा है कान्हा गोशाला का निर्माण. क्या है पूरा मामला
जिला के तिर्वा नगर पंचायत में मवेशियों के लिए करीब एक करोड़ 64 लाख रुपये की लागत से कान्हा गोशाला का निर्माण कराया जा रहा है. निर्माण कार्य के लिए करीब 82 लाख रुपये की पहली किस्त भी जारी हो चुकी है. अभी तक कान्हा गोशाला की बाउंड्री और तीन कमरों का ही निर्माण कार्य हो सका है. जबकि पहली किस्त का सारा पैसा खत्म हो गया है. आरोप है कि तिर्वा नगर पंचायत के चैयरमैन और अधिकारियों ने मनमाने तरीके से गोशाला के रुपये खर्च कर दिए हैं. बजट के अभाव में गोशाला का कार्य बंद कर दिया गया है.
दूसरी किस्त मांगने पर हुआ खुलासा
बताया जा रहा है कि नगर पंचायत की ओर से गोशाला निर्माण के लिए आई 82 लाख की पहली किस्त सिर्फ तीन कमरों और बाउंड्री के निर्माण में ही खत्म हो गई. जब तिर्वा नगर पंचायत की ओर से दूसरी किस्त की मांग की गई तब मामले की जानकारी प्रशासन को हुई.
डीएम ने जांच के दिए आदेश
कान्हा गोशाला में लगभग 82 लाख रुपये से हुए निर्माण को लेकर जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्रा को भी भ्रष्टाचार होने का अंदेशा लगा है. उन्होंने गोशाला निर्माण में अब तक खर्च हुए पैसे की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी और अधिशाषी अभियंता पीडब्ल्यूडी की टीम बनाकर जांच कराने की बात कही है. डीएम का कहना है कि कान्हा गोशाला निर्माण में अब तक जितना पैसा दिया गया है. उसके हिसाब से निर्माण हुआ है या नहीं, उसकी गुणवत्ता कैसी है. इसकी जांच की जाएगी. अगर जांच रिपोर्ट में मामला सही पाया जाता है तो संबंधितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.