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ड्यूटी पर जाते समय बाइक फिसलने से सिपाही की मौत - saurikh police station

मैनपुरी जनपद के करहल गांव के पास सड़क हादसे में सिपाही की मौत हो गई. सिपाही दिवाली की छुट्टी मनाने घर आया था. इस दौरान वापस ड्यूटी जॉइन करने के लिए जाते समय आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर सड़क हादसे में सिपाही की मौत हो गई.

सड़क हादसे में सिपाही की मौत.
सड़क हादसे में सिपाही की मौत.

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Published : Nov 16, 2020, 4:48 PM IST

कन्नौज:दिवाली की छुट्टी पर घर आए सिपाही की ड्यूटी पर वापस जाते समय आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. मैनपुरी जनपद के करहल गांव के पास सिपाही की बाइक अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गई. सोमवार को सिपाही के पैतृक गांव सौरिख थाना क्षेत्र के किरायन में अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान तिर्वा विधायक, सीओ छिबरामऊ, थाना प्रभारी सौरिख सहित अन्य लोगों ने सिपाही को श्रद्धांजलि दी. साथ ही पुलिस के जवानों ने सिपाही को सलामी दी.

सड़क हादसे में हुई मौत
सौरिख थाना क्षेत्र के किरायन गांव निवासी सौरभ पाल फिरोजाबाद जनपद के थाना नारखी में सिपाही के पद पर तैनात थे. दिवाली के मौके पर वे छुट्टी लेकर घर आए थे. इस दौरान रविवार को सिपाही सौरभ पाल वापस डयूटी जॉइन करने जा रहे थे. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर मैनपुरी जनपद के करहल गांव के पास उनकी बाइट डिवाइडर से टकरा गई. इस दौरान यूपीडा कर्मचारियों ने सिपाही को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान सिपाही की मौत हो गई.

शव गांव आते ही परिवार में मचा कोहराम
सिपाही की मौत की जानकारी मिलते ही परिजन मैनपुरी के लिए रवाना हो गए. पोस्टमार्टम प्रक्रिया के बाद सोमवार को सिपाही का शव पैतृक गांव पहुंचा. शव गांव में पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया. परिवार के लिए सिपाही की मौत से त्योहार की खुशियां मातम में बदल गईं.

जनप्रतिनिधियों व पुलिस अधिकारियों ने सिपाही को दी श्रद्धांजलि
सिपाही का अंतिम संस्कार गांव के बाहर किया गया. इससे पहले तिर्वा से बीजेपी विधायक कैलाश राजपूत, सीओ छिबरामऊ शिव कुमार थापा, थाना इंचार्ज विजय बहादुर वर्मा सहित अन्य लोगों ने सिपाही को श्रद्धांजलि दी. साथ ही सिपाही को पुलिस जवानों ने सलामी देकर अंतिम विदाई दी.

पिता की पहले ही हो चुकी है मौत
बताया जा रहा है कि सौरभ पाल के पिता श्याम नारायण की मौत पहले ही हो चुकी है. घर में अकेला होने की वजह से सिपाही पर ही परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी थी. सिपाही की मौत के बाद परिजनों को रोजी-रोटी की चिंता भी सता रही है.

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