झांसी: कोविड के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़े बोझ से बच्चों की जन्मजात बीमारियों का इलाज भी काफी प्रभावित हुआ है. झांसी मण्डल के तीनों जिलों में 409 ऐसे नवजात बच्चे चिह्नित किये गए हैं, जिनकी अलग-अलग बीमारियों की सर्जरी होनी है लेकिन डॉक्टरों का समय उपलब्ध न हो पाने के कारण सर्जरी नहीं हो पा रही है. झांसी, जालौन और ललितपुर जिलों के इन चिह्नित बच्चों का अगले दो महीनों में सर्जरी कराने का लक्ष्य रखा गया है. ये बच्चे जन्मजात मोतियाबिंद जैसी कई अन्य गम्भीर बीमारियों की चपेट में हैं और सर्जरी व इलाज का इंतजार कर रहे हैं.
मंडलीय परियोजना प्रबंधक आनन्द चौबे झांसी मंडल के तीनों जिलों के जिन 409 बच्चों की सर्जरी पेंडिंग है, उनमें सबसे ज्यादा 109 बच्चे कंजनाइटल कैटरेक्ट यानी जन्मजात मोतियाबिंद से ग्रसित है. झांसी में 45, जालौन में 14 और ललितपुर में 50 बच्चे हैं, जिनकी जन्मजात मोतियाबिंद से ग्रसित बच्चों की सर्जरी होनी है. इसके अलावा कटे ओंठ या तालू के 36, क्लब फुट के 31, बहरापन के 92 मामलों के अलावा कई अन्य बीमारियों की चपेट में आए बच्चों को सर्जरी का इंतजार है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इन चिह्नित बच्चों की जल्द से जल्द सर्जरी कराने की योजना तैयार हो रही है. हृदय सम्बन्धी रोगों की सर्जरी अलीगढ़ में और कटे ओंठ व तालू की सर्जरी कानपुर में होगी जबकि अन्य बीमारियों की सर्जरी झांसी के मेडिकल कॉलेज में होगी.मंडलीय परियोजना प्रबंधक आनन्द चौबे ने बताया कि बहुत सारे बच्चे जन्मजात दोष के साथ ही पैदा होते हैं. ऐसे बच्चों का सर्वे लगातार करते रहते हैं. पिछले लगभग एक साल से अधिक समय से हम यह देख रहे हैं कि मेडिकल कॉलेज के ऑपरेशन थियेटर बन्द रहे. कई चिह्नित बच्चों के परिजनों ने भी सर्जरी के प्रति रुझान नहीं दिखाया. इससे हमारे पास पेंडेंसी का लंबी लिस्ट आ गयी. लगभग 409 बच्चे चिह्नित हैं, जिन्हें कई कारणों से इलाज नहीं मिल पाया है. कमिश्नर ने मामले का संज्ञान लेकर निर्देश दिए हैं कि इन सभी की सर्जरी अगले दो महीने में करानी है. मेडिकल कॉलेज ने इस पर योजना बना ली है और बच्चों को भेजने का काम जल्द ही करने वाले हैं.