उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

बुंदेली चित्रकारी को बढ़ावा देने के लिए 'पहल' का आयोजन, जियो टैग दिलाने की मांग

झांसी जिले में तीन दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी (painting exhibition) का आयोजन किया गया. मंगलवार से आज गुरुवार तक आयोजित होने वाली चित्रकला प्रदर्शनी में कला प्रेमियों ने चित्रकारों के बनाए गए सुंदर-सुंदर चित्रों की खरीदारी की. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य चित्रकारों को उनकी कृतियों के बदले आर्थिक मदद दिलाना था.

तीन दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी
तीन दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी

By

Published : Aug 26, 2021, 5:33 PM IST

झांसी: बुंदेली शैली (Bundeli style) के चित्रकारों और लोक चित्रकारों (folk painters) को मंच देने और उनकी आर्थिक मदद (financial aid) के उद्देश्य से जनपद में तीन दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी (3 day painting exhibition) का आयोजन राजकीय संग्रहालय में मंगलवार से आज गुरुवार तक किया गया. तीन दिनों की इस प्रदर्शनी में पूरे बुन्देलखण्ड के चित्रकारों के चयनित चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई और यहां सरकारी विभागों के अफसर व अन्य कला प्रेमियों ने इन चित्रकारों के चित्रों की खरीदारी भी की. इस आयोजन का खास मकसद था चित्रकारों को उनकी कृतियों के बदले आर्थिक रूप से भुगतान हासिल हो सके. कला संस्कृति समिति झांसी मंडल (Art Culture Committee Jhansi Mandal) की ओर से इस खास बुंदेली चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. रंजना वैशम्पायन ने कहा कि प्रशासन को बुंदेली चित्रकला को जल्द से जल्द जियो टैग (geo tag) दिलवाने के लिए प्रयास करना चाहिए, जिससे बुंदेली संस्कृति को विश्व स्तर पर एक विशिष्ट पहचान मिल सके. कार्यक्रम की संयोजक डॉ. श्वेता पांडेय ने बताया कि प्रदर्शनी के लिए 80 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं, जिनमें से 50 को प्रदर्शित किया गया. प्रदर्शनी में लगाए गए सभी चित्र बुंदेली शैली पर आधारित रहे और आगे भी ऐसे आयोजनों की श्रृंखला की जाएगी.

तीन दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी
कला संस्कृति समिति की संरक्षक डॉ. सीमा पांडेय ने कहा कि बुंदेली चित्रकला को बढ़ावा देने के लिए यह शुरुआत की गई है. इसके माध्यम से चित्रकारों को प्रोत्साहित किया गया है. इसमें सरकार का पूरा सहयोग है. जनता को भी इस आयोजन से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. प्रयास है कि यह कला झांसी से निकलकर पूरे देश में फैले. इस प्रयास का यह पहला कदम है, इसलिए इसका नाम 'पहल' (Pahal)रखा गया है. इस कार्यक्रम के माध्यम से नींव रखी गई है और सभी के साथ मिलकर बुन्देलखण्ड को और यहां की लोककला को आगे बढ़ाया जा सकेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details