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कनेरा नदी को मिलेगा नया जीवन, मनरेगा के तहत चल रहा कार्य

कनेरा नदी को पुनर्जीवित करने का काम मनरेगा से चल रहा है. झांसी जनपद के बबीना ब्लॉक में सैन्य क्षेत्र में चांदमारी वाली पहाड़ी से इस नदी की उत्पत्ति बताई जाती है. लगभग 14 किलोमीटर लंबी यह नदी उत्तर प्रदेश के छह और मध्य प्रदेश के तीन गांव से होकर गुजरती है.

मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार ने दी जानकारी
मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार ने दी जानकारी

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Published : Jan 19, 2021, 6:42 PM IST

झांसी: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित कनेरा नदी को पुनर्जीवित करने का काम मनरेगा से चल रहा है. झांसी जनपद के बबीना ब्लॉक में सैन्य क्षेत्र में चांदमारी वाली पहाड़ी से इस नदी की उत्पत्ति बताई जाती है. लगभग 14 किलोमीटर लंबी यह नदी उत्तर प्रदेश के छह और मध्य प्रदेश के तीन गांव से होकर गुजरती है. बुंदेलखंड में लगातार पड़े सूखे के कारण इसके जलस्रोत सूख गए थे और इस नदी में बारह महीने जल का प्रवाह बंद हो गया. अब मनरेगा और स्वयंसेवी की मदद से नदी को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया गया है.

मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार ने दी जानकारी
झांसी के 6 गांवों से होकर गुजरती है नदी

कनेरा नदी नदी उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के 6 गांव बेदौरा, टूका, सरवां, भंडारा, पथरवारा, दयनगर और मध्य प्रदेश के तीन गांव हरपालपुर, चंदबनी, जनौली होते हुए कुल 14 किलोमीटर की यात्रा कर घुरारी नदी में मिलती है. लगभग दो दशक पहले इस नदी मेें साल भर पानी रहता था लेकिन बुंदेलखंड में पड़े सूखे के कारण इसका बारहमासी प्रवाह रूक गया. नदी के किनारे बसे गांवों के लोगों की मदद से साल 2018 मेें परमार्थ समाज सेवी संस्थान ने इस नदी को पुर्नजीवित करने का संकल्प लिया गया.

97 लाख खर्च कर होगा काम

उत्तर प्रदेश सरकार ने अब मनरेगा से इस नदी के पुर्नजीवन के लिए 97 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं और इसके पुर्नजीवन का कार्य शुरू किया गया है. नदी को पुनर्जीवन देने के इस काम में लघु सिंचाई विभाग, उद्यान विभाग, वन विभाग तीनों मिलकर काम कर रहे हैं. नदी की सिल्ट सफाई, नए चैकडेम का निर्माण, पुराने चैकडेम की मरम्मत, छायादार और फलदार वृक्षो के रोपण का काम कराया जा रहा है.

फरवरी तक काम पूरा होने का अनुमान

झांसी के मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार बताते हैं कि यह नदी लगभग 14 किमी लम्बी है, जिसका 8 किमी का हिस्सा उत्तर प्रदेश में है, जबकि शेष मध्य प्रदेश में है. सर्वे में पाया गया कि इसके टूटे चेकडैम बनवाकर, सिल्ट सफाई कराकर और दोनों ओर वृक्षारोपण कराकर इस नदी को पुराने स्वरूप में लौटाया जा सकता है. यह क्षेत्र कम पानी वाला क्षेत्र है और इस काम के बाद हम लंबे समय तक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करा सकते हैं. मनरेगा कन्वर्जेंस के तहत काम शुरू हुआ है और उम्मीद है कि फरवरी तक काम को पूरा करा लेंगे.

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