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पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर मामला: सपा सांसद ने खोला पुलिस-प्रशासन और सरकार के खिलाफ मोर्चा

यूपी के झांसी में पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर मामले राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. एक के बाद एक कई नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. वहीं सपा से राज्यसभा सांसद डॉ. चंद्रपाल यादव का कहना कि पीड़ित परिवार को न्याय न मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा.

पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर मामला.

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Published : Oct 11, 2019, 3:03 PM IST

झांसी: पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर को लेकर प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जहां झांसी पहुंचकर सियासत को एक नई हवा दे दी है. वहीं सपा सांसद डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती योगीराज को जंगलराज बता चुकी हैं.

पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर मामला.

सपा सांसद डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव ने पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर की जांच सिटिंग जज से कराए जाने की मांग उठाई है. सांसद ने कहा कि समाजवादी पार्टी शांत बैठने वाली नहीं है, यदि जांच की मांग जल्द पूरी नहीं हुई तो हम जल्द ही आंदोलन करेंगे.

सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यदि सरकार की मंशा अब भी अच्छी हो गई हो तो आरोपी इंस्पेक्टर पर एफआईआर दर्ज कराई जाए. वहीं पुष्पेंद्र यादव पर लिखे मामलों को उन्होंने सिरे से नकारते हुए कहा कि यह इतने बड़े मामले नहीं हैं कि पुलिस को एनकाउंटर करना पड़े. चुनाव के समय ऐसे मामले हर गांव में कई लोगों पर लिखे जाते हैं. जिससे शांति व्यवस्था भंग न हो. फिलहाल उन्होंने कोई भी मामला गंभीर नहीं बताया.

झांसी पुलिस के हाथों मारे गए पुष्पेंद्र यादव जनपद के करगुआ खुर्द गांव के रहने वाले थे. उसके पिता सीआईएसएफ में थे. पिता की आंखों की रोशनी चले जाने के बाद पुष्पेंद्र के बड़े भाई रविंद्र को उनकी जगह नौकरी मिल गई थी. घरवालों की माने तो पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे, जिनसे बालू और गिट्टी की ढुलाई करता था.

पुष्पेंद्र पर पुलिस ने लगाए थे ये आरोप
परिजनों की माने तो पुलिस ने पहले पुष्पेंद्र यादव के खिलाफ फर्जी केस दर्ज किया. उसके बाद फेक एनकाउंटर कर दिया. पुलिस उस वक्त संदेह के घेरे में आई जब पुष्पेंद्र का जो भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है. पुलिस ने उसके खिलाफ भी हत्या की कोशिश का फर्जी मामला दर्ज कर दिया. उसे अपनी एफआईआर के बारे में तब पता चला, जब वह पुष्पेंद्र की मौत के बारे में सुनकर अपने गांव करगुआ खुर्द पहुंचा.

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