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किसानों को कागजी जाल में उलझाया जा रहा: सांसद चंद्रपाल सिंह यादव

यूपी के झांसी में राज्यसभा सांसद और कृषकों के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में किसानों के पास सिंचाई के अच्छे संसाधन नहीं हैं. किसानों को कागजी जाल में उलझाया जा रहा है. इसलिए यहां के किसान आज भी बदहाल हैं.

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Published : Jan 27, 2020, 10:18 AM IST

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झांसी पहुंचे राज्यसभा सांसद डॉ. चंद्रपाल सिंह.

झांसी:बुंदेलखंड के बदहाल किसानों को कर्ज और मर्ज से उबारने के लिए बुंदेलखंड विकास बोर्ड भले ही बना दिया गया हो, लेकिन अभी तक इसकी कार्य योजना धरातल पर नहीं दिखी है. ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्यसभा सांसद और कृषकों के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव ने कहा कि किसानों को सिर्फ कागजी जाल में उलझाया जा रहा है. उन्हें नुकसान का अभी तक बीमा क्लेम नहीं मिला है.

झांसी पहुंचे राज्यसभा सांसद डॉ. चंद्रपाल सिंह.
  • आपदा राहत प्रबंधन की टीम ने बीते महीने फसलों के नुकसान का आकलन किया था.
  • टीम ने किसानों से बात करके मौके पर लेखपालों को बुलाकर पीड़ित किसानों की सूची बनाने के निर्देश दिए थे.
  • टीम के सदस्यों ने भी जनपद में फसलों के भारी नुकसान की बात मानी थी.
  • किसानों को फसलों में हुए नुकसान का बीमा क्लेम अभी तक नहीं मिल सका है, जिसको लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है.

मुआवजा न मिलने पर सपा सांसद डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव कहते हैं कि फसलों में हुए नुकसान का किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सही तरीके से लाभ नहीं मिला है. दैवीय आपदाओं के नुकसान पर इनका सर्वे 60 प्रतिशत पर मुआवजा देता है, लेकिन जो सर्वे करने वाले हैं वह 60 प्रतिशत नुकसान नहीं दिखाते हैं. जिस वजह से किसानों तक लाभ नहीं पहुंच पाता है.

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बुंदेलखंड में किसानों के पास सिंचाई के नहीं हैं अच्छे संसाधन
चंद्रपाल सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड में किसानों के पास सिंचाई के अच्छे संसाधन नहीं हैं. उन्हें अच्छी किस्म के बीज भी नहीं मिल पाते हैं. जब किसान लोन लेता है तो उसे प्रीमियम काटकर लोन उपलब्ध कराया जाता है. उस ऋण से किसान फसल उगाता है. बीमा कंपनी प्रीमियम लेती है कि यदि किसानों को नुकसान हो जाए तो वे इसकी भरपाई करेंगी, लेकिन प्रीमियम भी लेते हैं और क्लेम भी नहीं देती हैं.

किसान की आमदनी का वादा सरकार का झूठा निकला
राज्यसभा सांसद कहते हैं कि जिस तरह सरकार ने किसान की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया था. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि किसान की जो लागत है, वह भी वापस नहीं आ पा रही है. किसान लगातार घाटे का व्यापार कर रहा है. किसान की आमदनी का वादा सरकार का झूठा निकला. प्रधानमंत्री बीमा योजना का सारा फायदा बीमा कंपनियों को मिल रहा है.

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