झांसी :बुंदेलखंड के पहले हास्य कलाकार गोविंद सिंह गुल का निधन हो गया. वह कैंसर से पीड़ित थे. झांसी के मेडिकल कॉलेज में उनका इलाज चल रहा था. यहां शनिवार को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. अंतिम समय में गोविंद सिंह गुल आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. उनकी अंतिम यात्रा में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन के अलावा जिले के कई कलाकार शामिल हुए.
गोविंद सिंह गुल की हैं दो पत्नियां :गोविंद सिंह गुल ऑडियो कैसेट के जमाने के सबसे पहले हास्य कलाकार थे. वह मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव के गुरु भी थे. गोविंद सिंह गुल झांसी के पंचकुइयां मंदिर के पीछे खाई मोहल्ले में रहते थे. उनके पिता का नाम बालाराम और मां का नाम धन कुंवर था. गोविंद सिंह की दो पत्नियां थीं. पहली पत्नी का नाम कम्मू और दूसरी पत्नी सविता हैं. इनकी दोनों पत्नियां अपने बच्चों के साथ एक ही घर में मिलजुल कर रहती हैं. पहली पत्नी के एक बेटा और एक बेटी जबकि दूसरी पत्नी से दो बेटा एक बेटी हैं.
झांसी किले के पास लावारिस मिले थे गोविंद सिंह :झांसी किले के पास पचकुइयां इलाके में रहने वाले बालाराम उस जमाने में तांगा चलाया करते थे. वह झांसी किले के पास से गुजर रहे थे तो सड़क किनारे उनको एक छोटा बच्चा लावारिस हालत में पड़ा मिला. उस बच्चे को अपने घर ले आए. अपनी पत्नी की गोद में बच्चों को देते हुए सारा किस्सा सुनाया. अगले दिन जब पति-पत्नी बच्चे को लेकर थाने पहुंचे तो पुलिस ने हाल फिलहाल बच्चे के मां-बाप के न मिलने तक बच्चे की देखरेख की जिम्मेदारी बालाराम और उनकी पत्नी को ही सौंप दी. बालाराम और उनकी पत्नी की कोई संतान नहीं थी. बलाराम और उसकी पत्नी ने इस बच्चे का नाम रखा गोविंद सिंह.
बचपन से ही लोगों को हंसाते थे गोविंद सिंह :गोविंद सिंह ने पढ़ाई में डबल एमए की शिक्षा प्राप्त की थी. गोविंद सिंह के आसपास के रहने वाले मित्रों ने बताया कि गोविंद बचपन से ही लोगों को हंसाने का काम करता था. बाद में गोविंद सिंह ने इसी कला को अपना करियर बना लिया. गोविंद सिंह ने अपने चुटकुलों से लोगों के दिलों में जगह बनाई. उस जमाने में लोगों के मनोरंजन के नाम पर सिर्फ ऑडियो कैसेट ही थी. यूपी में उस समय ऑडियो कैसेट में गाने रिकॉर्ड करने काम कन्हैया कैसेट कंपनी में भी होता था. कन्हैया कैसेट ने ही गोविंद सिंह गुल को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में एक अहम भूमिका अदा की.
'गुल के गुलगुले' एलबम ने मचाई थी धूम :कन्हैया कैसेट के मैनेजिंग डायरेक्टर दीपक सेठ ने ईटीवी भारत को बताया कि 1987 में उनके मैनेजर ने एक दुबले-पतले व्यक्ति को लाकर सामने खड़ा कर दिया. कहा कि इन्हें मौका दीजिए. दीपक सेठ ने गोविंद सिंह गुल का ऑडिशन लिया तो वह उनकी कला के दीवाने हो गए. इसके बाद एक महीने तक गोविंद सिंह के चुटकुलों की रिकॉर्डिंग की. गुल के गुलगुले नाम का एक एलबम गोविंद सिंह ने निकाला. दीपक सेठ ने बताया कि इस एलबम के निकलते ही हर तरफ गोविंद सिंह की धूम हो गई. उनके पास इतने आर्डर आने लगे कि पूर्ति भी नहीं कर पा रहे थे.