झांसी : कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी को बेहद प्रभावित किया है. ईटीवी भारत की टीम हालात को समझने के लिए बुंदेलखंड के झांसी शहर से सटे अठौदना गांव पहुंची. लोगों से जब बातचीत की गई तब यह बात सामने आई कि हालात काफी खराब हैं. गांव वाले किसी तरह से अपनी जिंदगी काटने के लिए मजबूर हैं. गांव के ही आशाराम कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण मजदूरी का काम उन्हें कहीं नहीं मिल रहा. वह घर बैठे हैं. मजदूरी करने वाली राजवती का कहना है कि जब से लॉकडाउन लगा है तब से वह घर पर ही बैठी हैं.
सामने खड़ा है रोजगार और भुखमरी का संकट
परमार्थ संस्था ने बुन्देलखण्ड के छह जिलों में एक अध्ययन किया. इसमें झांसी जनपद के सत्तर गांव शामिल थे. अप्रैल के पहले सप्ताह में लोग बीमार होना शुरू हुए थे. अब इलाके में कोरोना के मामले कम होने लगे हैं और लोगों की तबीयत में भी सुधार हो रहा है. लेकिन, अब रोजगार और भुखमरी का संकट उनके सामने खड़ा हो गया है. एक महीने तक लॉकडाउन रहा और इस वजह से मनरेगा जैसे काम भी बंद रहे. गांव में लोगों को सामान भी ऊंची दरों पर मिल रहे हैं. ऐसे में लोग आर्थिक रुप से टूट गये हैं. लोगों के पास जो भी पैसे थे, वह इलाज में खर्च हो गए. ऐसे में लोगों की क्रय शक्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई.
'हर जरूरतमंद तक पहुंचेगा खाद्यान्न'