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झांसी: धान किसानों को नहीं मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य

यूपी के झांसी जिले में किसानों को धान खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है. अधिकांश किसानों के धान को घटिया क्वालिटी का और खराब बताकर सरकारी केंद्र पर खरीदने से मना कर दिया जा रहा है.

धान किसानों को नहीं मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य
धान किसानों को नहीं मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य

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Published : Oct 27, 2020, 9:41 AM IST

झांसी:सरकार के तमाम दावों के बावजूद किसानों को धान की उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. जिले के चिरगांव मंडी में हर रोज बड़ी संख्या में किसान धान बेचने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें मजबूरी में आढ़तिये, व्यापारी और बिचौलियों को धान बेचना पड़ रहा है. धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 और 1888 रुपये प्रति क्विंटल है.

धान किसानों को नहीं मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य

किसानों को मजबूरी में 1200 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से धान बेचना पड़ रहा है. अधिकांश किसानों के धान को घटिया क्वालिटी का और खराब बताकर सरकारी केंद्र पर खरीदने से मना कर दिया जा रहा है और उसी धान को व्यापारी व आढ़तिये मनमाने रेट पर खरीद रहे हैं.

जिले के चिरगांव मंडी में हर रोज बड़ी संख्या में किसान धान बेचने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें मजबूरी में आढ़तिये, व्यापारी और बिचौलियों को धान बेचना पड़ रहा है.
भ्रष्टाचार और लेटलतीफी का आरोपउजियान गांव के किसान कुलदीप सिंह बुंदेला ने बताया कि बिचौलिए 1100 से 1300 रुपये क्विंटल के हिसाब से धान खरीद रहे हैं. सरकारी केंद्र पर पैसे लेकर तुलाई की जा रही है. वहां तक तो पहुंचना ही मुश्किल है. बजेरा गांव से आए किसान राम बहादुर सिंह कहते हैं कि वे 50 क्विंटल धान लेकर आए हैं.
यूपी के झांसी जिले में किसानों को धान खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है.

व्यापारी खरीदते समय एक क्विंटल पर डेढ़ किलो अलग से लेता है. प्राइवेट में हमने 1475 रुपये क्विंटल के रेट से बेचा है. सरकारी रेट पर बेचने के लिए लोग तीन दिन से पड़े हैं, उनका नम्बर ही नहीं आ रहा है.

अधिकांश किसानों के धान को घटिया क्वालिटी का और खराब बताकर सरकारी केंद्र पर खरीदने से मना कर दिया जा रहा है.
खरीद केंद्र के प्रभारी रवि कुमार कहते हैं कि धान की खरीद सरकारी दर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से की जा रही है. रजिस्टर क्रमांक के हिसाब से किसानों से खरीद की जा रही है. कई व्यक्ति ऐसे आ रहे हैं जो पांच-पांच रजिस्ट्रेशन लेकर आ रहे हैं. मंडी सचिव को पत्र लिखा गया है कि रजिस्ट्रेशन की जांच कराई जाए और केंद्र पर वास्तविक कृषक भेजे जाएं.

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