झांसी: बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग और हिंदुस्तानी अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिनों की राष्ट्रीय संगोष्ठी का बुधवार को समापन हो गया. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की स्वाधीन चेतना था. इस अवसर पर एक साहित्यिक यात्रा भी निकाली गई.
झांसी:राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन,निकाली गई साहित्यिक यात्रा
यूपी के झांसी में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग और हिंदुस्तानी अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई राष्ट्रीय संगोष्ठी का बुधवार को समापन हुआ. इस मौके पर साहित्यिक यात्रा भी निकाली गई. इस यात्रा में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए साहित्यकारों ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जन्मभूमि चिरगांव में राष्ट्रकवि की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की.
मां पीतांबरा के दर्शन से हुई साहित्यिक यात्रा की शुरूआत
इस साहित्यिक यात्रा की शुरूआत दतिया में मां पीतांबरा के दर्शन से हुई. दतिया चौक पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए साहित्यकारों ने झांसी का किला, रानी महल, लक्ष्मी मन्दिर और गणेश मन्दिर का भ्रमण किया. इसके बाद राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जन्मभूमि चिरगांव में राष्ट्रकवि की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की. इसके बाद आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त महाविद्यालय के विद्यार्थियो को संबोधित भी किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिन्दुस्तानी अकादमी के अध्यक्ष डॉ उदय प्रताप सिंह ने कहा कि साहित्यकारों एवं ऐतिहासिक महापुरुषों से जुड़े स्थलों की यात्रा करने से साहित्य और इतिहास को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है. लोक में प्रचलित प्रसंग, गीत आदि इतिहास को समझने में बेहतर भूमिका निभाते हैं. संगोष्ठी संयोजक डॉ पुनीत बिसारिया ने कहा कि साहित्य और इतिहास लोक में जीवंत रहकर श्रुति एवं लिखित परंपरा के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित होता रहता है.