झांसी: यूपी सरकार और जिला प्रशासन लगातार दो महीने से गैर राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों को लेकर जद्दोजहद कर रहा था. अब जनपद के रक्सा बैरियर पर इक्का-दुक्का ही ऐसे वाहन दिख रहे हैं, जो प्रवासी मजदूरों को लेकर आ रहे हैं. फिलहाल इससे प्रशासन की परेशानियां काफी हद तक कम हुई है. अब सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती इन्हें रोजगार दिलाना होगी.
मजदूरों को रोजगार की उम्मीद प्रवासी मजदूरों की भीड़ कम
लगातार 2 महीने से जनपद के रक्सा थाना क्षेत्र स्थित यूपी-एमपी सीमा प्रशासन के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई थी. यहां हर रोज अनियंत्रित भीड़ इकट्ठा हो रही थी. गैर राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन, पेयजल, मेडिकल और बसों की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही थीं. अब कहीं न कहीं प्रशासन ने राहत की सांस ली होगी, क्योंकि अब हर रोज यहां इकठ्ठा होने वाली भीड़ कम होती जा रही है. अब यहां लगे अस्थाई टेंटों में मजदूर कम और पास में खड़ी बसें ज्यादा दिख रही हैं.
खेती पर निर्भर लोग
कोरोना के दौरान बड़ी मुश्किलों से वापस घर पहुंचने के बाद बुंदेलखंड के 70 फीसदी मजदूर फिलहाल दूसरे प्रदेश कमाने नहीं जाना चाहते हैं. सूखे की मार और बेरोजगारी के चलते दूसरे राज्यों में गए यह लोग अब वापस बड़े शहरों की ओर रुख नहीं करना चाहते हैं. तकरीबन 70 हजार किलोमीटर में फैला बुंदेलखंड का क्षेत्र कई वर्षों से सूखे की मार झेल रहा है. अगर यहां सूखा बड़ी समस्या न हो तो 80 फीसदी जनसंख्या खेती पर निर्भर है.
अब दूसरे राज्य नहीं जाना चाहते मजदूर
यूपी में पूर्वांचल और बुंदेलखंड के मजदूर सभी ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बड़े शहरों की ओर जाने से इनकार कर दिया है. लॉकडाउन के दौरान जो मुश्किलें इन मजदूरों ने झेली हैं. उससे उनके गांव में ही रोजगार करने के इरादे में मजबूती आई है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो उत्तर प्रदेश में करीब 21 लाख प्रवासी मजदूर आ चुके हैं. इनके ग्रामीण स्तर पर रोजगार के लिए प्रदेश सरकार कई प्रयास कर रही है.