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बुन्देलखंडी कढ़ी-समोसा: इस लजीज स्वाद के हैं लाखों दीवाने, आते हैं दूर-दूर से खाने - kadhi samosa

आज ईटीवी भारत की टीम पंहुच चुकी है हिंदुस्तान के सिरमौर बुंदेलखंड यानी कि झांसी. भारत भूमि का यह खंड वैसे तो वीर पुरोधाओं और वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के लिए याद किया जाता है. मगर स्वाद के मामले में भी कोई झांसी का सानी नहीं. यहां के समोसे, खस्ते, छोले का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. लोग सुबह नाश्ते में समोसे-छोले, समोसे-सब्जी और खस्ता-रायता खाकर खूब चटखारे लेते हैं. वैसे लोग समोसे के साथ चटनी, छोला, सब्जी और रायते का चलन तो जानते ही हैं. लेकिन बुन्देलखण्ड में समोसे के साथ खट्टी मीठी चटनी की जगह पर एक खास किस्म की कढ़ी का प्रचलन है. तो आइए और चलते हैं यूपी के एक और स्वाद के अड्डे का जायका लेने.

बुन्देलखंडी कढ़ी-समोसा
बुन्देलखंडी कढ़ी-समोसा

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Published : Jul 4, 2021, 6:04 AM IST

झांसी: समोसे के साथ चटनी, छोले, सब्जी और रायते का चलन तो आमतौर पर लोग जानते हैं लेकिन बुन्देलखण्ड में समोसे के साथ कढ़ी के नाश्ते का काफी प्रचलन है. झांसी हो या फिर आसपास के अन्य जिले, हर जिले और जिले के कस्बों में ऐसी दुकानों की खास पहचान होती है, जहां समोसे के साथ कढ़ी तैयार होता है और खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए नाश्ते में उपलब्ध रहता है.

इस लजीज स्वाद के हैं लाखों दीवाने
हर हिस्से में कढ़ी-समोसे की दुकानझांसी शहर में इस तरह की कई दुकानें हैं जो अपने कढ़ी-समोसे की बिक्री के लिए प्रसिद्ध है. मिनर्वा चौराहे से लेकर, सदर बाजार, पुराना शहर हो या फिर शहर का कोई अन्य हिस्सा. नाश्ते की दुकान पर समोसे और कढ़ी जरूर मिलते हैं. खाने वालों को यह जायका एक अलग तरह के स्वाद का अनुभव कराता है. कढ़ी-समोसे का प्रचलन ठीक-ठीक कब से और किस तरह से हुआ, इस बात की तो जानकारी लोगों के पास नहीं है लेकिन पिछले लंबे समय से बुंदेलखंडी नाश्तों के प्रमुख व्यंजन के रूप में इसने अपनी पहचान बना ली है.शौकीनों को पसंद है कढ़ी-समोसे का कम्बीनेशनस्थानीय निवासी राशिद कहते हैं कि अन्य शहरों में उन्होंने समोसे के साथ चटनी देखी है, रायता देखा है. कढ़ी कहीं नहीं देखी. यह सिर्फ झांसी में ही देखा है. यह यहां बहुत प्रसिद्ध है. नरेश कुमार बताते हैं कि कढ़ी समोसा एक बुंदेलखंडी व्यंजन है. बाहर हमने कढ़ी-समोसा बहुत कम देखा है. मन्नू कहते हैं कि वे भोपाल से झांसी आये हैं. वे यहां जब भी आते हैं, कढ़ी-समोसा खाते हैं. भोपाल में उन्हें कभी कढ़ी-समोसा खाने को नहीं मिला. दुकान संचालक प्रदीप यादव कहते हैं कि यहां कढ़ी-समोसा काफी समय से चल रहा है. बेसन, मठ्ठा और दही से कढ़ी तैयार करते हैं.

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