झांसी: बीएचईएल के रिटायर्ड इंजीनियर और स्क्रैप कलाकार जगदीश लाल अपनी अद्भुत कला प्रतिभा के कारण एक अलग पहचान रखते हैं. ये लोहे और प्लास्टिक के कबाड़ से अद्भुत कलाकृतियां बनाने में माहिर हैं. कबाड़ से बनाई गई उनकी मूर्तियां जनपद के प्रमुख स्थानों पर और देश के कई शहरों में लगाई गई हैं. अपनी कलाकृतियों में वे सामाजिक और पर्यावरण से जुड़े सन्देश दे रहे हैं.
कबाड़ से मूर्तियां बना रहे जगदीश लाल. 35 साल से बना रहे कलाकृतियांजगदीश लाल बताते हैं कि, उनको 35 वर्ष से अधिक का समय स्क्रैप से कलाकृतियां बनाते हुए हो चुका है. जब वे बीएचईएल में कार्यरत थे, तब मन में आया कि, स्क्रैप का किस तरह से उपयोग किया जाए. उसके बाद लोहे के स्क्रैप से विभिन्न तरह की कलाकृतियां बनाईं. चिड़िया, जिराफ, हाथी, आदमी सहित कई तरह की कलाकृतियां बनाई. उनके दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ नया बनाने का आइडिया चलता रहता है.
प्लास्टिक के कबाड़ का भी उपयोगस्क्रैप आर्टिस्ट जगदीश लाल ने प्लास्टिक कबाड़ से कई तरह की सुंदर व सजावटी कृतियां तैयार की हैं. उन कला-कृतियों को अपने घर में सजाकर रखा है. वह कई बार इनकी प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं. प्लास्टिक के स्क्रैप की समस्या को हल करने के लिए वह इस माध्यम को वे एक बेहतरीन तरीका मानते हैं.
देश भर में लगी जगदीश लाल की बनाई मूर्तियांजगदीश लाल बताते हैं कि, स्क्रैप को देखा जाए तो वह अपने आप में एक आकृति लिए रहती है. उन्होंने बताया कि, इसे बनाने में काफी आनंद आता है. भारत में प्लास्टिक और लोहे का स्क्रैप लगातार एक समस्या बनती जा रही है.
जगदीश लाल ने बताया कि, उनके दिमाग में आया कि लोहे के स्क्रैप से कलाकृतियां बनाई जाएं. पर्यावरण से जुड़े और अन्य सामाजिक विषयों पर केंद्रित कलाकृतियां लगातार बनाते रहे. लोहे के स्क्रैप की कलाकृतियां लगभग 12 से 1300 के बीच बना चुके हैं, यह एक बड़ा रिकॉर्ड है. दिल्ली, भोपाल, बरौनी, हरिद्वार सहित कई शहरों में कलाकृतियां लगाई गई हैं. एक इंच से लेकर चौबीस फीट तक की मूर्तियां बनाई है.
मिली सामाजिक सराहना और सम्मान
बीएचईएल के कल्याण अधिकारी और चित्रकार डॉ. मोहम्मद आलम बताते हैं कि, जगदीश लाल एक उम्दा कलाकार हैं. वे स्क्रैप आर्ट में महारत रखते हैं. एक आदमी जिस चीज को कबाड़ समझता है, उसमे कला को देखना इनकी खासियत है. खराब चीजों से वे ऐसी कलाकृति बनाते हैं, जो अपने आप में मिसाल बन जाते हैं.
हर कलाकृति को वे एक सन्देश के साथ पेश करते हैं. जगदीश लाल की इस अद्भुत कला का उपयोग बीएचईएल संगठन में देखा गया. झांसी किले के बाहर 1857 के युद्ध का मंजर स्क्रैप मूर्तियों की मदद से दर्शाया गया है.
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