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देरी से हुई बारिश ने मूंगफली की बुवाई पर डाला असर, 20 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान

यूपी के झांसी में जुलाई महीने में औसत 294.4 मिमी वर्षा होती है, जबकि इस वर्ष जुलाई महीने में अभी तक 100 मिमी ही बारिश हुई है. पूरा जुलाई महीना बिना बारिश के निकल गया. ऐसे में मूंगफली की बुवाई प्रभावित हुई है. कृषि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस साल मूंगफली के क्षेत्रफल और उत्पादकता दोनों में बीस प्रतिशत तक कमी होगी.

मूंगफली की बुवाई प्रभावित.
मूंगफली की बुवाई प्रभावित.

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Published : Jul 20, 2021, 5:02 PM IST

झांसी:देरी से शुरू हुई बारिश के कारण बुन्देलखण्ड में इस साल मूंगफली की फसल की बुवाई पर काफी असर पड़ा है. अनुमान है कि अकेले झांसी जनपद में इस साल बीस फीसदी कम क्षेत्रफल में मूंगफली की बुवाई की गई है. इस बात का भी अनुमान जाहिर किया जा रहा है कि इस साल मूंगफली की उत्पादकता भी कम रहेगी. मूंगफली के साथ ही तिल, उरद और मूंग की बुआई में देरी हुई है.

जुलाई महीने में झांसी में औसत 294.4 मिमी वर्षा होती है, जबकि इस वर्ष जुलाई महीने में अभी तक 100 मिमी ही बारिश हुई है. पूरा जुलाई महीना बिना बारिश के निकल गया और पिछले तीन-चार दिनों में हुई बारिश ने किसानों को कुछ राहत दी है. जिसके बाद अब किसान खेतों में उरद और मूंग की बुवाई में जुट गए हैं, लेकिन मूंगफली की बुवाई में अब काफी देरी हो चुकी है. जिसके कारण इस साल इस साल मूंगफली की उत्पादकता कम रहने का अनुमान है.

मूंगफली की बुवाई प्रभावित.

देरी से हुई बारिश के कारण जनपद के कई हिस्सों में खेत अभी भी खाली पड़े हैं. बेहटा गांव के रहने वाले किसान बृजेश पाल कहते हैं कि वे इस समय अपने खेत मे उरद, मूंग और तिल की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं. हर साल मूंगफली की बुवाई करते हैं, लेकिन इस साल बारिश में देरी हो गई, जिसके कारण मूंगफली की बुवाई नहीं कर रहे हैं. बारिश आगे होगी या नहीं होगी, इस बात को लेकर भी आशंका बनी हुई है. बहुत सारे लोग धान की बुवाई करते थे. वे भी इस बार अपने खेतों में बुवाई नहीं कर पाए.

क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ ए के सिंह बताते हैं कि देरी से मानसून के कारण बारिश का औसत कम रहने का अनुमान है. झांसी जनपद में मुख्य रूप से मूंगफली की बुवाई होती है. लेट मानसून के कारण क्षेत्रफल और उत्पादकता दोनों में बीस प्रतिशत तक कमी होने का अनुमान है. दलहन में मुख्य रूप से उर्द और मूंग की बुवाई होती है,जिसकी बुवाई अभी की जा सकती है. यदि बारिश इसी तरह होती रही तो तिल की बुवाई भी की जा सकती है और अधिक नुकसान की आशंका नहीं है.

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