झांसी:देशभर में लॉकडाउन लागू होने के बाद से अब तक बड़ी संख्या में बुन्देलखण्ड में प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी हुई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनपद में करीब 35 हजार लोग शहर से वापस अपने घर पहुंचे हैं. हालांकि गैर सरकारी संगठनों का दावा है कि इससे कहीं ज्यादा लोगों की घर वापसी हुई है. लोगों की यह संख्या आने वाले दिनों में सामने आएगी. इन सबके बीच घर वापसी करने वाले लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध करा पाना एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है.
रिवर्स माइग्रेशन कर वापस लौटे प्रवासी मनरेगा पर खास फोकस
घर वापसी करने वालों में सबसे अधिक संख्या दिहाड़ी मजदूरों की है. ऐसे में इन सबको रोजगार से जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर मनरेगा के तहत काम शुरू कराए गए हैं. झांसी जनपद में 293 सब हेल्थ सेंटरों के जीणोद्धार का काम चल रहा है. इसे 20 जून से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा झांसी जिले के 496 ग्राम पंचायतों में 417 तालाबों के गहरीकरण और खुदाई का काम मनरेगा के तहत चल रहा है.
शहरी क्षेत्र में रोजगार की चुनौती
ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के माध्यम से बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूरों को काम दिया जा रहा है. जबकि शहरी क्षेत्र में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराना सरकार के लिए अब भी बड़ी चुनौती है. प्रशासनिक स्तर पर कई विभागों को कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि कुशल और शहरी कामगारों को भी रोजगार से जोड़ा जा सके.
कृषि पर फोकस की जरूरत
इस बारे में बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बाबू लाल तिवारी ने कहा कि इस समय बड़े पैमाने पर काम किया जा सकता है. नहरों का जाल बिछा दिया जाए और तालाबों की मिट्टी निकाल ली जाए. उन्होंने बताया कि हमारे पास जमीन बहुत है. यहां नदियां हैं. उन्होंने बताया कि खेती के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाए. नए उद्योग-धंधे स्थापित हों. इससे निश्चित रूप से पलायन रुकेगा. सरकार काम देने में सफल हो जाएगी, तो यहां से पलायन रुक जाएगा.
सरकारी योजनाओं से लोगों को जोड़ने के दावे
इस बारे में झांसी के डीएम आंद्रा वामसी का कहना हैं कि मनरेगा के तहत देहात क्षेत्र के लोगों को पंजीकृत कर काम दिया जा सकता है. शहरी क्षेत्र में एनयूएलएम की योजनाओं के साथ अन्य तरह की योजनाओं में ऐसे लोगों का पंजीकरण कराया जा रहा है. श्रम आयुक्त के निर्देश के मुताबिक सभी का पंजीकरण कराकर उनकी सूची तैयार की जा रही है.