झांसी: जिले के बहुचर्चित पुष्पेंद्र यादव फर्जी मुठभेड़ मामले में मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं. झांसी के मोंठ थाना इलाके में 5, 6 अक्तूबर 2019 की रात बालू खनन में शामिल पुष्पेंद्र यादव को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था. पुलिस का दावा था कि मुठभेड़ से कुछ घंटे पहले पुष्पेंद्र ने कानपुर-झांसी राजमार्ग पर मोंठ के थानाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान पर गोली चलाई थी. आरोप था कि इसके बाद पुष्पेंद्र थानाध्यक्ष की कार लेकर चला गया था. इसके बाद रात तकरीबन तीन बजे पुष्पेंद्र मुठभेड़ में मारा गया था. जबकि, पुष्पेंद्र के परिजनों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर के जरिए हत्या का आरोप लगाया था. इस मामले में जमकर राजनीति गरमाई थी.
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मृतक के गांव का दौरा भी किया था. वहीं, पुष्पेंद्र की पत्नी शिवांगी यादव की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस पर फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. मृतक पुष्पेंद्र के पिता हरिश्चंद्र यादव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरा बेटा कोई अपराधी नहीं था कि हम उसकी मौत पर चुप बैठ जाते. वह ट्रक चलवाता था. पुलिस ने लेनदेन के लिए उसे बुलाया था और विवाद होने पर उसका कत्ल कर दिया था.
गौरतलब है कि चर्चित पुष्पेंद्र यादव पुलिस एनकाउंटर की जांच सीबीआई से कराने की मांग पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था. साथ ही तत्कालीन एसएसपी झांसी ओपी सिंह को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर पूरे मामले का ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था. पुष्पेंद्र की पत्नी शिवांगी की याचिका पर कार्रवाई जारी थी. याचिका पर अधिवक्ता इमरान उल्लाह और शिवम यादव ने कोर्ट को बताया था कि एनकाउंटर करने वाले इंस्पेक्टर धर्मेन्द्र सिंह चौहान एसएसपी के रिश्तेदार हैं. इसलिए वह इंस्पेक्टर को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.
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घटना के बाद मीडिया को दिए गए बयान में एसएसपी और इंस्पेक्टर के बयान में कई विरोधाभास हैं. याचिका में आरोप लगाया है कि पुष्पेंद्र यादव की पुलिस ने हत्या कर दी और इसे एनकाउंटर का केस बनाने के लिए कहानी गढ़ी गई. अब सच क्या है वह तो सीबीआई जांच से ही सामने आएगा. याचिका में उस समय रहे एसएसपी झांसी ओपी सिंह के साथ-साथ प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को पक्षकार बनाया गया था. उच्च न्यायालय ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं.