झांसी:कोरोना के खौफ के चलते लागू हुए लॉकडाउन में शिल्पकार मजदूरों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. इनकी दुर्दशा प्रशासनिक अमलों के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है. जहां जिलाधिकारी दावा कर रहे हैं कि सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए हर जरूरतमंद तक राशन पहुंचाया जा रहा है, वहीं शिल्पकार बस्ती में रहने वाले लोग प्रशासन के इन दावों को सिरे से नकार रहा हैं. इनका कहना है कि इन्हें खाने के नाम पर सिर्फ समाजसेवी संस्थाओं द्वारा दिए जा रहे लंच पैकेट ही मिले हैं.
पूरी तरह से चौपट हुआ शिल्पकारों का व्यवसाय
जनपद के सीपरी बाजार थाना क्षेत्र स्थित आईटीआई के पास एक ऐसी बस्ती है, जहां पत्थरों को आकार दिया जाता है. शिल्पकार समाज के ये लोग पत्थरों से बने सामान को मेला, हाट और सड़क किनारे फुटपाथ पर बेचते हैं. यही व्यवसाय इनकी जीविका का सबसे बड़ा साधन है, लेकिन पूरी दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही है, भारत भी इससे अछूता नहीं रहा और यहां कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 21 दिन का लॉकडाउन लागू करना पड़ा.
जिसके चलते इनका व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया. अब ये शिल्पकार दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं. इनका कहना है कि कुछ समाजसेवी संस्थाएं आती हैं जो लंच पैकेट देकर जाती हैं. इतने बड़े परिवार के लिए लंच पैकेट पर्याप्त नहीं होते हैं. शिल्पकारों ने बताया कि अभी तक इनके पास कोई सरकारी मदद नहीं पहुंची है.