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पीएम मोदी के दौरे से पहले रानी लक्ष्मीबाई के किले को चमकाने में जुटा प्रशासन - झांसी की ख़बर

19 नवंबर को महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झांसी आ रहे हैं. उनके आने से पहले पुरातत्व विभाग और प्रशासन किले को चमकाने में जुटा है.

लक्ष्मीबाई के किले को चमकाने में जुटा प्रशासन
लक्ष्मीबाई के किले को चमकाने में जुटा प्रशासन

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Published : Nov 12, 2021, 8:05 PM IST

झांसीः पीएम मोदी आने वाले 19 नवंबर को झांसी आ रहे हैं. इस दिन महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती भी है. पीएम के आने के पहले पुरातत्व विभाग और प्रशासन किले को चमकाने में जुटा हुआ है. कोरोड़ों रुपये की लागत से किले की मरम्मत और शहर की सड़कें बनाई जा रही हैं. दिनभर 100 से ज्यादा मजदूर और कर्मचारी किले के रंग-रोगन और मरम्मत के काम में जुटे हुए हैं.

पुरातत्व विभाग के अधिकारी का कहना है कि मूल स्वरूप बनाए रखने के लिए वही सामग्री इस्तेमाल की जा रही है, जो किला बनाने में इस्तेमाल हुई है किले के अंदर बने रानी के पंचमहल को पीले रंग से पोता गया है. वहीं किले और महलों पर जमी कालिख को भी लोहे के ब्रश से साफ कर चमकाया जा रहा है. शहरवासियों का कहना है कि इतने बड़े स्तर पर पहले कभी भी किला की मरम्मत नहीं हुई है.

रानी लक्ष्मीबाई के किले को चमकाने में जुटा प्रशासन
झांसी की रानी की जयंती पर पहली बार कोई प्रधानमंत्री किले पर आ रहे हैं. वह किले की तलहटी में देशवासियों को संबोधित करेंगे. पीएम मोदी शाम 5:00 बजे झांसी आएंगे और 2 घंटे यहां रुकेंगे. इस दौरान वह किले जाएंगे और उसके बाद किले की तलहटी में स्थित मैदान में आयोजित सेना के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. यहां सिर्फ 750 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी.
रानी लक्ष्मीबाई
झांसी का किला

इसके लिए एक विशेष मैदान तैयार किया जा रहा है. करीब 10 साल पहले चारदीवारी कर मैदान को बंद कर दिया गया था. लेकिन अब मैदान को दुरुस्त कर समतल किया जा रहा है. मैदान के लिए 2 अस्थाई गेट बनाने के लिए दीवार को दो जगह से तोड़ा गया है. इस मैदान में झांसी दुर्ग का विहंगम दृश्य नजर आता है. इसके साथ ही मैदान के बगल में वे स्थल भी है, जहां झांसी की रानी अंग्रेजों से युद्ध करते हुए चकमा देकर निकली थी.

झांसी का किला
मैदान से किले के पास तक एक नए मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस रास्ते से पीएम मोदी किले के जंपिंग स्पोर्ट पर जाएंगे. झांसी की रानी अपने दत्तक पुत्र दामोदर राव को लेकर घोड़े से 4 से 5 अप्रैल 1958 की रात्रि कूदी थीं. कालपी और फिर वहां से ग्वालियर पहुंची. जहां दुश्मन के साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई थीं.
झांसी का किला

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जंपिंग सपोर्ट के पास दुर्ग पर तिरंगा झंडा लगा था. 12 फीट लंबे और 8 फीट चौड़े तिरंगा झंडे की डिमांड थी. खादी का झंडा झांसी में नहीं मिला तो पुरातत्व विभाग ने लखनऊ से झंडा बनवाया और गुरुवार को झंडे को दुर्ग पर लगा दिया गया. इसके अलावा किले की टूटी पड़ी दीवारों की मरम्मत की जा रही है. वही झाड़ियां काटकर सफाई का काम तेजी से चल रहा है. बड़ी संख्या में केंद्र और प्रदेश सरकार के मंत्री और अफसरों के अलावा सेना के अधिकारी शामिल होंगे. ऐसे में बेहद सीमित संख्या में अन्य लोगों को आयोजन का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा.

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