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जौनपुर: शीतला चौकिया धाम के दर्शन बिना अधूरा है देवी विंध्याचल धाम जाना

जौनपुर का शीतला माता मंदिर जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस मंदिर की पूर्णता का जिक्र मार्कंडेय पुराण में उल्लिखित है. यह मां विंध्यवासिनी की सबसे छोटी बहन मानी जाती हैं. मान्यता है कि विंध्याचल में दर्शन करने से पहले शीतला मां के दर्शन करने जरूरी होते हैं.

शीतला चौकिया धाम

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Published : Apr 5, 2019, 11:34 PM IST

जौनपुर: शीतला चौकिया धाम को सिद्ध पीठ का दर्जा प्राप्त है. पूर्वांचल में नवरात्रि के मौके पर शीतला मां के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से जौनपुर के चौकिया धाम पहुंचते हैं. मान्यता है कि विंध्याचल में दर्शन करने से पहले शीतला मां के दर्शन करने जरूरी होते हैं. इसलिए लोग पहले जौनपुर के चौकिया धाम में नवरात्रि के मौके पर दर्शन करते हैं, फिर विंध्याचल के लिए जाते हैं, तब जाकर उनकी मन्नत भी पूरी होती है.

जानिए शीतला चौकिया धाम की पूरी कहानी

जौनपुर का शीतला चौकिया धाम एक सिद्ध पीठ माना जाता है. मंदिर के प्रबंधक अजय कुमार पंडा ने बताया कि देवचंद माली नाम के व्यक्ति को एक रात सपना आया था किस पास के कुएं में देवी मां की मूर्ति है. इसके बाद उसने पास के कुएं से माता की मूर्ति निकाली. उसकी चौकी स्थापित करके पूजा-अर्चना शुरू कर दी. फिर बाद में उसको मंदिर का रूप दे दिया गया, जिसके बाद आज माता का यह मंदिर आस्था का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है. यह मंदिर करीब 300 साल पुराना है.

जौनपुर का शीतला माता मंदिर जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस मंदिर की पूर्णता का जिक्र मार्कंडेय पुराण में उल्लिखित है. नवरात्रि के मौके पर यहां दूर-दराज से लाखों की संख्या में भक्त आते हैं. विंध्याचल दर्शन से पहले माता शीतला के दर्शन किए जाते हैं. यह मां विंध्यवासिनी की सबसे छोटी बहन मानी जाती हैं.

चौकिया शीतला धाम मंदिर में आने वाले श्रद्धालु दर्शन करने के साथ मन्नत भी मांगते हैं. यहां मन्नत मांगने के साथ रक्षा का धागा बांधा जाता है. मान्यता है कि मन से मांगी गई भक्तों की मुराद माता पूरी करती हैं. मंदिर के पीछे ही एक बड़ा तालाब भी है, जहां भक्त दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं. नवरात्रि में दर्शन करने के लिए हर रोज लाखों लोग आते हैं और दर्शन-पूजन करने के बाद मन्नत का धागा बांधते हैं. मन्नत पूरी होने पर उस धागे को खोलते हैं.

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