जौनपुर: प्रदेश की योगी सरकार कोरोना काल के दौरान बेरोजगार हुए लोगों को एक करोड़ रोजगार देने की घोषणा कर चुकी है. वहीं प्रशासनिक अमला भी रोजगार के अवसर पैदा करने में जुटे हुए हैं, लेकिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. सरकारी रोजगार देने का वादा भी अब केवल कागजों तक सिमटकर रह गया है. जनपद में 2 लाख 75 हजार 343 लोग दूसरे राज्यों से लौटकर आए. ये वे लोग हैं, जो पैसा कमाने के लिए दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे राज्यों में गए हुए थे, लेकिन कोरोना वायरस से फैली बेरोजगारी के चलते उन्हें अपने घर वापसी करनी पड़ी.
प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल पा रहा रोजगार. सरकार ने इन्हें रोजगार देने के नाम पर वादे तो बड़े-बड़े किए हैं, लेकिन हकीकत में जनपद में मनरेगा के तहत 14 हजार 595 और रोजगार कार्यालय के तहत केवल 126 लोगों को ही रोजगार मिल सका. इतनी ज्यादा संख्या में होने के बावजूद भी प्रवासी आज जनपद में बेरोजगार होकर घर बैठे हैं. वहीं इन प्रवासियों को रोजगार तो दूर सरकारी राशन भी नहीं मिल रहा है. अब काम धंधे के लिए वे गुजरात, मुंबई और दिल्ली जैसे राज्यों में लौटना तो चाहते हैं, लेकिन वहां कोरोना वायरस से हालात ज्यादा भयावह है, इसलिए मजबूर होकर घर पर ही बैठे हैं.
देश में कोरोना की वजह से हालात अब ज्यादा भयावह हो रहे हैं. वहीं बेरोजगारी का प्रतिशत भी लगातार बढ़ रहा है. कोरोना की वजह से प्रदेश में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूरों का पलायन हुआ है. वहीं जनपद में भी बीते 2 महीनों 2 लाख 75 हजार 343 प्रवासी लोग लौटे हैं. इन लौटे हुए प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए पिछले दिनों योगी सरकार ने एक करोड़ रोजगार देने का एलान किया था, लेकिन अभी तक प्रशासनिक स्तर पर जनपद में ही प्रवासी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में फेल साबित हो रहे हैं.
हालात ये हैं कि आज भी बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार ही बैठे हैं. जनपद में मजदूरों और प्रवासियों को सबसे ज्यादा मनरेगा के तहत ही काम मिला है. यहां अब तक 21 हजार 206 प्रवासी परिवारों का जॉब कार्ड बनाया गया है, जबकि काम केवल 14 हजार 595 लोगों को ही मिल सका है. वहीं इन लौटे हुए प्रवासी मजदूरों में 59 हजार 630 कुशल मजदूर हैं, लेकिन रोजगार कार्यालय की ओर से अब तक केवल 126 प्रवासियों को ही रोजगार मुहैया कराया जा सका है. ऐसे में जनपद में घर बैठे प्रवासी फिलहाल तो आर्थिक तंगी से जूझते दिख रहे हैं.
कोरोना वायरस की वजह से घर लौटना पड़ा, लेकिन इन दिनों परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है, इसलिए अब सब्जी का ठेला लगा रहे हैं.
-अशोक कुमार, प्रवासी मजदूर
कपड़े का काम करते थे, लेकिन बीते 2 महीनों से घर बैठे हैं. अब तक कोई काम नहीं मिला है और न ही उनके खाते में सरकार की ओर से कोई पैसा आया है, जबकि सरकारी राशन भी नहीं मिलता है. आखिर ऐसे में करें भी तो क्या करें.
-संदीप कुमार, मुंबई से लौटे प्रवासी
कोरोना की वजह से जिले में आए हुए 3 महीने हो गए, अब तक कोई काम नहीं मिल सका है और न ही मेरा राशन कार्ड ही बना है. ऐसे में परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है.
-सुमन, महिला प्रवासी
मुंबई से आए हुए डेढ़ महीना हो गया. अभी तक कोई काम नहीं मिला है. यहां तक कि सरकारी राशन भी हमें नहीं मिलता है. मुंबई लौटने का मन तो करता है, लेकिन क्या करें वहां हालात ज्यादा ही खराब हैं.
-शिव शंकर चौहान, प्रवासी मजदूर
मनरेगा के उपायुक्त भूपेंद्र सिंह बताते हैं कि जनपद में लगभग तीन लाख के करीब प्रवासी मजदूर लौटे हैं, जिनमें 21 हजार 206 परिवारों का जॉब कार्ड बनाया गया है. मनरेगा के तहत अभी तक 14 हजार 595 प्रवासी लोगों को काम मिला है. वहीं उनकी प्राथमिकता है कि कोई भी अगर काम मांगे तो उसे 14 दिन के भीतर रोजगार दिया जाए.
वहीं जिला सेवायोजन अधिकारी राजीव सिंह बताते हैं कि जनपद में 2 लाख 75 हजार 343 प्रवासी लौटे हैं, जिनमें से 59 हजार 603 कुशल मजदूर पाए गए हैं. लगातार रोजगार मेला लगाया जा रहा है, जिसके माध्यम से अब तक 126 प्रवासी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है.