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अखिलेश यादव पर सोशल मीडिया पर लोगों ने कसे तंज, कहा, ये कैसा समाजवाद!

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 25 फरवरी को पुलिस अभिरक्षा में मरे युवक के घर शोक व्यक्त करने जौनपुर पहुंचे थे. इस दौरान सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर और वीडियो वायरल हो रहे हैं. जिस पर यूजर तंज कस रहे हैं.

अखिलेश यादव पर सोशल मीडिया पर लोगों ने कसे तंज, कहा, ये कैसा समाजवाद!
अखिलेश यादव पर सोशल मीडिया पर लोगों ने कसे तंज, कहा, ये कैसा समाजवाद!

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Published : Feb 27, 2021, 4:57 PM IST

Updated : Feb 27, 2021, 6:29 PM IST

जौनपुरः एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 25 फरवरी को पुलिस अभिरक्षा में मरे युवक के घर शोक व्यक्त करने जौनपुर पहुंचे थे. इस दौरान सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर और वीडियो वायरल हो गयी. जिसमें सोशल मीडिया के यूजर और लोग खूब तंज कस रहे हैं.

अखिलेश यादव पर सोशल मीडिया पर लोगों ने कसे तंज, कहा, ये कैसा समाजवाद!

ये है पूरा मामला

जौनपुर बक्सा थाना क्षेत्र के चकमिर्जापुर के निवासी पुजारी यादव की मौत पुलिस अभिरक्षा में हो गयी थी. इस दौरान 25 फरवरी को सपा के मुखिया अखिलेश यादव शोक व्यक्त करने मृतक के घर गये हुए थे. सोशल मीडिया पर यहीं तस्वीर और वीडियो तेजी के साथ वायरल हो रही है. वायरल तस्वीर में एसपी के मुखिया कुर्सी पर बैठे हुए हैं. उनके सामने मृतक के परिजन अपने ही घर में जमीन पर बैठे हैं. अखिलेश यादव के सामने मेज पर भुने हुए काजू और बिसलरी की बोतल रखी हुई है. इस तस्वीर को देखकर लोग समाजवाद के नारे पर तंज कस रहे हैं. लोगों का कहना है कि अखिलेश यादव शोक व्यक्त करने गये थे या फिर खातिरदारी कराने पहुंचे थे. उनका इस तरह का आवभगत हो रहा है, जैसे लग रहा है वो किसी खुशी के कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं.

ये कैसा समाजवाद!

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उद्देश्य भारद्वाज का कहना है कि अखिलेश यादव किसी राजा की तरह कुर्सी पर बैठे हैं. पीड़ित के परिजन प्रजा की तरह जमीन पर बैठे हैं. अखिलेश यादव इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं. ये शोक व्यक्त करने का तरीका नहीं हो सकता. इस बाबत कांग्रेस नेता आशीष सिंह वत्स का कहना है कि समाजवाद अब पूंजावाद में ढल चुका है. समाजवाद की बात करने वाले लोग समाजवाद के असली महत्व को भूल गये हैं. ये सिर्फ अपने निजी हित के लिये सोचते हैं, और किसी के न्याय से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

इसके अलावा लोग सोशल मीडिया पर तंज कस रहे हैं कि शोक व्यक्त करने के कार्यक्रम में मेवे का स्वाद नहीं लिया जाता है. कई लोग उसे समाजवाद का आधुनिक स्वरूप बता रहे हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह के काम मात्र राजनीति से प्रेरित होते हैं.

Last Updated : Feb 27, 2021, 6:29 PM IST

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