जौनपुर: एक तरफ जहां सरकार ने जनता के फायदे के लिए कई योजनाएं बनाई है, तो वहीं कई लोगों तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. सरकार ने जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से प्रसूता महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता दिखाई है. योजना में सिर्फ मां ही नहीं बल्कि नवजात बच्चों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए हर साल हजारों करोड़ों रुपए सरकार खर्च कर रही है.
कुपोषण से नवजात बच्चों की हो रही मौत. जिले में कई नवजात बच्चों के कुपोषित होने की खबर सामने आई है. जिले के सरकारी अस्पताल में पैदा होने वाले नवजात बच्चों में 35 फीसदी बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों तक अभी भी कई योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है.
नवजात बच्चों ने खोली सरकार की पोल-
कुपोषित बच्चे सामान्य बच्चों से कम वजन के होते हैं, जिसके कारण इन बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है. वहीं इन कुपोषित बच्चों के अंग भी कम विकसित होते हैं. हालांकि यही कारणों की वजह से इन बच्चों में मृत्यु दर भी अधिक होती है. इन सभी बातों पर गौर करने से यह पता चल रहा है कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को कितना सफलता मिल रही है. वहीं सरकार की इन योजनाओं पर सफलताओं के दावे पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.
अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों में 35 फीसदी बच्चे कम वजन के हैं. वहीं इन बच्चों को विशेष निगरानी में रखा जाता है. जिला महिला अस्पताल में आठ मशीनें ही एसएनसीयू में है, जिनमें इन कमजोर बच्चों को रखा जाता है. ऐसे में बहुत से बच्चे सरकार की इस सुविधा के लाभ से भी वंचित रह जाते हैं.
-डॉ. आर के सरोज, अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल, जौनपुर