जौनपुर:जिले में अंग्रेजों के समय सन 1870 में बनी जिला जेल में इन दिनों क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. वहीं उस समय के हिसाब से जेल की क्षमता भी निर्धारित की गई थी. जिला जेल की क्षमता 320 कैदियों की बनाई गई थी, लेकिन आबादी और समय के साथ-साथ बढ़ते हुए अपराधों की वजह से अब ये जेल छोटी पड़ गई है. लगभग 4 एकड़ क्षेत्रफल में बनी इस जेल में वर्तमान समय में कैदियों की संख्या 4 गुना से भी ज्यादा हो गई है. इसका खामियाजा भी आज यहां पर बंद कैदियों को उठाना पड़ रहा है.
1870 में अंग्रेजों ने बनवाई थी जेल. वर्तमान में 1354 कैदी हैं बंद
वर्तमान की बात करें तो इस समय जेल में 1354 कैदी बंद हैं, जो इस क्षमता से 4 गुना से भी ज्यादा हैं. जेल में 11 बैरक हैं, लेकिन इन बैरकों में अब बैठने की जगह नहीं है. सोने में भी कैदियों को काफी परेशानी हो रही है, जिसका खामियाजा उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. नई जिला जेल का प्रस्ताव 2015 से ही चल रहा है, लेकिन आज तक नई जेल के लिए भूमि का चयन भी नहीं हो सका है. ऐसे में कोरोना वायरस का खतरा भी कैदियों पर मंडरा रहा है, क्योंकि अगर संक्रमण जेल में फैला तो इसका असर कैदियों पर पड़ेगा.
अंग्रेजों के शासन काल में बनी थी जेल
इस जिला जेल में कभी अंग्रेजों के शासन काल में देश की आजादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारियों को रखा जाता था. आजादी के बाद यहां की जिला जेल में अपराध करने वाले अपराधियों को रखा जाने लगा. अंग्रेजों ने जिला जेल का निर्माण सन 1870 में उस समय की आबादी के अनुसार कराया था. वहीं जेल की क्षमता भी उस समय की आबादी के अनुसार ही 320 बंदियों के लिए रखी गई थी. समय के साथ-साथ जेल की क्षमता को जनसंख्या के मुकाबले बढ़ाने का प्रस्ताव फाइलों में धूल फांक रहा है.
क्षमता से 4 गुना कैदी हैं बंद
जिला जेल में आज हालात ऐसे हो गए हैं कि यहां की क्षमता से 4 गुना से भी ज्यादा कैदी बंद हैं. इसकी वजह से यहां पर कैदियों को सोते समय अब करवट बदलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिला जेल में वर्तमान समय में 1354 कैदी बंद हैं. वहीं इस समय कोरोना वायरस के चलते 100 से ज्यादा कैदियों को अस्थाई जेल में भी रखा गया है. जेल में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि अपराध का ग्राफ भी दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. जेल की क्षमता बढ़ाने के लिए शासन द्वारा कभी कोई प्रयास भी नहीं किया गया है. नई जेल बनाने के लिए 2015 से ही प्रयास हो रहा है, लेकिन 5 सालों में अभी तक जमीन का चयन भी नहीं हो सका है.
कैदी के भाई मोहम्मद मुख्तार ने बताया
जेल में अपने भाई से मिलने आए मोहम्मद मुख्तार का कहना है कि इन दिनों कोरोना के चलते जेल में मिलाई बंद है. वह भाई के लिए कुछ सामान लाए हुए थे. भाई से मिलने गए थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से नहीं मिल सके. मार्च में वे भाई से मिले थे उस समय भी ऐसे ही हालात थे जैसे अब हैं. जेल की बैरक में अब रहने की जगह नहीं है, जो उनके भाई बताया करते हैं. वहीं उनकी अम्मी भी इसी जेल में बंद हैं. उन्हें भी स्वास्थ्य की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने जेल प्रशासन पर अम्मी के इलाज के लिए पैसा लेने का आरोप लगाया है.
जिला जेल की क्षमता 320 कैदियों की है. वर्तमान में 1354 कैदी यहां बंद हैं, जो कि क्षमता से कई गुना ज्यादा हैं. वहीं इसका असर कैदियों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है, लेकिन वह मजबूर हैं. इसी जेल में बरामदों को बैरक के रूप में तैयार कराया गया है, जिससे कि कुछ कैदियों को राहत मिल सके. नई जेल बनाने के लिए जमीन देख ली गई है, लेकिन अभी रजिस्ट्री नहीं हो सकी है.
राजकुमार वर्मा, जिला जेल प्रभारी अधीक्षक, जौनपुर