जौनपुर:कोरोना से लड़ने के लिए सरकार जहां लॉकडाउन को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है. वही लॉकडाउन खुलने की उम्मीद लगाए बैठे लोग अब और भी ज्यादा परेशान हैं. खासतौर से वे लोग, जिन्हें भूख का सामना करना पड़ रहा है. इस दौर में मजदूरों और छोटा मोटा काम करने वाले लोगों का काम धंधा पूरी तरह से ठप हो गया है. ऐसी स्थिति में उन्हें अब परिवार का दो वक्त का पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है.
देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट... जौनपुर में ऐसा ही एक लोहा पीटी समाज है, जो रहने वाले तो मध्य प्रदेश के हैं, लेकिन वह अक्सर घूम फिरकर लोहे के औजार बना कर बेचते हैं, जिससे उनका गुजारा होता है. कोरोना के चलते यह समाज भी पूरी तरह से प्रभावित है. इनके पास न तो काम है और न ही खाने के लिए अनाज.
टेंट में रहकर किसी तरह करते हैं गुजारा
मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के रहने वाले इस समाज के लोग घूम- घुमकर अस्थाई रूप से लोहे के औजार बनाकर बेचते हैं. इन दिनों यह काम पूरी तरह से बंद है. ऐसे में वह न तो घर जा पा रहे हैं और न हीं यहां पर उन्हें खाने के लिए अनाज है. जलालपुर में ऐसे करीब 24 लोग टेंट लगाकर रह रहे हैं.
सिर्फ एक टाइम मिल पा रहा खाना
प्रशासन के द्वारा कम्युनिटी किचन के माध्यम से एक जून का खाना तो मिल रहा है लेकिन दूसरे जून के खाने के लिए किसी की दया पर निर्भर रहना होता है. कभी समाजसेवी लोगों के द्वारा खाना मिल जाता है तो कभी उन्हें पानी पीकर ही भूखे पेट सोना पड़ता है.
बयां किया अपना दर्द
लोहा पीटी समाज की प्रेम बाई बताती हैं कि वह लोग मध्यप्रदेश के सीहोर के रहने वाले हैं. उनका काम इन दिनों पूरी तरह से बंद है. ऐसे में उन्हें भूखे ही रहना पड़ रहा है. घर में अनाज भी नहीं है. यहां तक कि उनके घर में बूढ़ी दादी बीमार है, जिन्होंने 3 दिन से खाना तक नहीं खाया है. इसी समाज के धारू बताते हैं कि वह लोग लॉकडाउन में फंस गए हैं. घर भी नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में यहां प्रशासन के द्वारा उन्हें एक टाइम का खाना दिया जाता है. जबकि दूसरी टाइम उन्हें भूखा ही रहना पड़ता है.
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पीरु बताते हैं कि वे लोग इन दिनों बहुत परेशान हैं. उनके पास अनाज नहीं है. उन्हें दूसरों की दया पर निर्भर रहना पड़ रहा है. प्रशासन के द्वारा एक टाइम का खाना मिल रहा है. उनके पास अगर अनाज होता तो वह लोग खाना बनाकर अपना पेट भर लेते.