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जौनपुर: होमगार्डों के ऊपर टूटा दुखों का पहाड़, अब कैसे होगा बीमार परिजनों का इलाज - जौनपुर में होमगार्डों का धरना प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में प्रदेश सरकार के फैसले से होमगार्ड दर-बदर हो गए हैं. होमगार्डों को विभिन्न माध्यमों से 25 दिनों की ड्यूटी मिलती थी, लेकिन अब सिर्फ 15 दिनों की ड्यूटी मिलेगी. इससे होमगार्ड काफी परेशान हैं. इसको लेकर उन्होंने जौनपुर में धरना प्रदर्शन किया.

जौनपुर में होमगार्डों का धरना प्रदर्शन

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Published : Oct 17, 2019, 11:54 PM IST

जौनपुर: प्रदेश सरकार के फैसले की वजह से होमगार्डों को काफी बड़ा झटका लगा है. पहले जहां होमगार्डों को विभिन्न माध्यमों से 25 दिन की ड्यूटी मिलती थी, लेकिन अब उन्हें 15 दिन की ही ड्यूटी मिलेगी. ऐसे में 10 दिन के मानदेय के हिसाब से उन्हें लगभग 7 हजार रुपये के महीने का नुकसान होगा. जौनपुर जनपद में 1900 होमगार्ड पुलिस से लेकर विभिन्न कार्यालयों से संबद्ध थे, जिनमें से एक हजार होमगार्ड प्रभावित हुए है. इनमें से कई ऐसे होमगार्ड हैं जिनकी पत्नी, मां और बच्चे गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. उनका इलाज भी इसी नौकरी से किसी तरह चलता था, लेकिन अब उनके सामने सबसे बड़ी समस्या है. क्योंकि अब नौकरी के पैसों में कटौती हुई है. इससे इलाज के लिए पर्याप्त रुपये नहीं जुटा पाएंगे.

जौनपुर में होमगार्डों का धरना प्रदर्शन

होमगार्डों को 15 दिन की ही मिलेगी ड्यूटी
होमगार्ड को लेकर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने उनका मानदेय बढ़ाए जाने का फैसला सुनाया था. इसके बाद प्रदेश सरकार कि पुलिस विभाग पर इसका काफी बड़ा खर्च बढ़ने लगा था. इन खर्चों में कटौती के चलते हैं होमगार्ड को 25 दिन के बजाय अब 15 दिन की ड्यूटी मिलेगी. इससे उन्हें हर महीने करीब 7हजार रुपये का नुकसान होगा. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होम गार्डों को प्रतिदिन की ड्यूटी के हिसाब से 672 रुपये का भत्ता मिलता रहा है. हाड़ कपाने वाली सर्दी हो और तपती गर्मी होमगार्ड ने अपनी नौकरी जिम्मेदारी से की है. नौकरी की ड्यूटी के दिनों में कटौती से अब उनके आगे एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. इसी नौकरी की वजह से ही उनका घर चलता था.

कुंभ मेले के दौरान ड्यूटी लगाई गई थी अभी तक उसका कोई भुगतान नहीं हुआ है. मेरी पत्नी गंभीर बीमारियों से पीड़ित है. नौकरी के दिनों में कटौती होने से समस्याए आ रही है. समझ में नहीं आ रहा है कि पत्नी का इलाज कैसे करायेंगे.
अखिलेश बिन्द, होमगार्ड

मां हृदय और लीवर की बीमारी से पीड़ित है. जिनका इलाज का खर्चा भी इसी नौकरी के भरोसे चल रहा था, लेकिन अब नौकरी के कम पैसों की वजह से मन में गहरी निराशा हुई है. अब समझ में नहीं आता कि भीख मांगे की आत्महत्या कर ले. जिंदगी को कैसे जीएंगे जाए.
राम उजागिर पांडेय, होमगार्ड


उनकी पत्नी ब्रेन ट्यूमर है, जिनके इलाज का खर्चा भी काफी ज्यादा है, लेकिन वह किसी तरह अपनी नौकरी से ही पत्नी का इलाज करा रहे थे. अब तो समझ में नहीं आ रहा है कि पत्नी का इलाज कैसे करायेंगे.
समर प्रकाश, होमगार्ड

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