जौनपुर: कोरोना केसेस में लगातार तेजी आ रही है, पिछले 4 से 5 दिनों का आंकड़ा देखें तो देश भर में संक्रमितों की संख्या एक लाख तक बढ़ी है. जहां कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ा है तो वहीं इसके चलते एक नया रोजगार भी पैदा हो गया है. दरअसल इस महामारी ने छोटी पूंजी से लोगों को रोजगार मुहैया करा दिया. लोग मास्क और सैनिटाइजर बेचकर अपना और परिवार वालों का पेट पाल रहे हैं.
कोरोना की आह बनी 'आत्मनिर्भता की राह'
पूरा विश्व ही कोरोना की मार से त्रस्त है, फिर चाहे वह आर्थिक और सामरिक शक्ति के रुप में अमेरिका हो या फिर यूरोप का कोई भी बड़े से बड़ा राष्ट्र. कोरोना ने सभी की जिंदगी थाम दी. नुकसान तो हर क्षेत्र में हुआ मगर आर्थिक रूप से सभी की कमर टूट गई. उद्योग, कल-कारखानों में ताले मुंह चिढ़ाने लगे. आम आदमी दो वक्त की रोटी और जान बचाने की जद्दोजहद में जूझने लगा. मगर इस कोरोना ने कईयों के चेहरे भी खिला दिए, बहुतों के लिए नई आस लेकर आया है. रोजी-रोटी के लिए जो दूसरों पर निर्भर थे, वे आज आत्मनिर्भर बनने की ओर चल पड़े हैं.
दरअसल कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए मुंह पर मास्क और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए सैनिटाइजर का प्रयोग करना जरुरी है. इस वजह से हर व्यक्ति की यह जरूरत बन गई है. इस जरूरत को देखते हुए सड़क किनारे और बाजारों में ऐसी सैकड़ों दुकानें मिल जाएंगी, जिनमें कई तरह के रंग-बिरंगे मास्क मिल जाएंगे. जौनपुर जिले में हजारों की संख्या में युवाओं को कोरोना की वजह से यह नया रोजगार मिला है, इससे वे रोजाना 400 से 500 रुपये कमा लेते हैं. वहीं इस रोजगार को शुरू करने के लिए बड़ी पूंजी की भी जरूरत नहीं है. महज हजार एक से दो हजार रुपये में ये रोजगार शुरू किया जा सकता है.
इन दिनों कोरोना की वजह से जनपद के युवाओं को नया रोजगार मिल रहा है. जिले में जो युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे थे, वे इन दिनों छोटी सी पूंजी लगाकर मास्क और सैनिटाइजर बेच रहे हैं. कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग जरूरी है. भले यह रोजगार छोटे समय के लिए हो लेकिन इसकी मांग की खूब है. मास्क और सैनिटाइजर की मांग के चलते जनपद में हजारों युवाओं को रोजगार मिला है. इन दिनों बाजार में बच्चों से लेकर महिलाओं के लिए अलग-अलग तरह के डिजाइनर और सुंदर मास्क उपलब्ध हैं, जो खूब पसंद भी किए जा रहे हैं. वहीं मास्क बेचने वाले जावेद बताते हैं कि जब से अनलॉक हुआ है तो उन्होंने मास्क, सैनिटाइजर बेचने का काम शुरू किया है. इससे कुछ न कुछ आमदनी तो हो ही जाती है, जिससे परिवार पालने में आसानी हो रही है.
वहीं मास्क बेचने वाले दुकानदार मोनू बताते हैं कि अब वे मास्क और सैनिटाइजर बेचकर रोजाना 500 से 1000 रुपये तक कमा लेते हैं, जबकि लॉकडाउन के दौरान उनका काम बंद था. ऐसे में कोरोना की वजह से उन्हें एक नया रोजगार मिला है.
दुकानदार अल्तमस की मानें तो लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में मास्क फ्री में भी बांटे. जबकि अब तक वे मास्क और सैनिटाइजर बेचकर एक लाख रुपये से भी ज्यादा कमा चुके हैं. इन दिनों मास्क भी कई रंग के आ गए हैं, जिनमें महिलाओं से लेकर बच्चों तक की अलग-अलग तरह के डिजाइनर मास्क हैं, जो लोगों को काफी आकर्षित कर रहे हैं.