जौनपुर:जिले में लॉकडाउन लागू होने के बाद से जहां किसानों को काफी नुकसान हो रहा है तो वहीं फूल की खेती करने वाले किसान भी इससे अछूते नहीं हैं. मुगलकाल से फूलों की खेती करते आ रहे किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. नवरात्र से लेकर शादियों के मौसम तक यहां गुलाब, बेला और गेंदा के फूलों की भारी मांग रहती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते फूल अब किसी काम के नहीं रहे.
आधा दर्जन किस्म के फूलों की खेती
इस जिले को लोग इत्र की नगरी भी कहते थे और यहां के इत्र अरब देशों तक जाते थे, जिसके चलते सैकड़ों की संख्या में किसान आधा दर्जन से अधिक फूलों की किस्म की खेती करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार यही फूल उन्हें अब शूल बनकर परेशान कर रहे हैं. नवरात्र से लेकर शादियों के मौसम तक गुलाब, बेला और गेंदा के फूलों की भारी मांग पूर्वांचल के कई जिलों में रहती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने सब खत्म कर दिया. फूलों के खरीददार भी नहीं हैं, जिसके चलते किसान भी इन फूलों को अब नहीं तोड़ना चाहते. किसान की आंखों के सामने देखते ही देखते फूलों की खेती सूखती दिख रही है.
लॉकडाउन के चलते किसान भुखमरी की कगार पर
लॉकडाउन के चलते किसानी और खेती नहीं होने से फूलों के किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. गोमती नदी के किनारे शहर के चाचकपुर इलाके में करीब 600 साल से फूलों की खेती हो रही है. फूलों की आधा दर्जन किसमें यहां आज भी उगाई जाती है. जिन फूलों की खेती के बल पर किसानों को मार्च और अप्रैल महीने में अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया.