जौनपुर: प्रदेश के भूभाग पर लगातार हरियाली कम होती जा रही है, जिससे जानवर ही नहीं बल्कि इंसानों के लिए भी खतरा पैदा हो गया है. ऐसे में देखा जाए तो सरकार भी इस समस्या के प्रति गंभीर है. इसी को देखते हुए इस साल 5 जुलाई को 1 दिन में 25 करोड़ पौधे लगाए गए, लेकिन सरकारी प्रयासों के बावजूद भी इन पौधों को बचा पाना काफी मुश्किल होता है. वहीं कुछ ऐसे पर्यावरण मित्र भी हैं जो लगातार अपने प्रयासों की बदौलत पौधे लगाने के साथ ही इन्हें संरक्षित करने और पर्यावरण को बचाने में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं. जनपद के थाना गद्दी क्षेत्र के गांव नाउपुर के रहने वाले मदन मोहन नायक ऐसे ही एक शख्स हैं, जिन्होंने 30 सालों के भीतर करीब 1 लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं.
जिले में हरियाली बचा रहे मदन मोहन नायक. मदन मोहन नायक के लगाए हुए ज्यादातर पौधे आज भी सुरक्षित भी हैं. इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही करीब 50 हजार पौधे लगाए थे, जिसके कारण कुलपति ने इन्हें ग्रीनब्वाय और मालवीय पुरस्कार से नवाजा था. विश्वविद्यालय में आज इन्हीं की बदौलत काफी ज्यादा हरियाली देखने को मिलती है. पूरे क्षेत्र में उनके पर्यावरण के प्रति लगाव से प्रेरित होकर लोग भी पौधे लगाकर पूरे इलाके को हरा-भरा बनाने में जुटे हुए हैं.
कैसे आया ये विचार ?
जनपद के थाना गद्दी के नानपुर गांव के रहने वाले मदन मोहन नायक को बचपन से ही पौधे लगाने के प्रति रुचि रही है. उन्होंने अपने ननिहाल में पढ़ाई के दौरान ही बड़ी संख्या में पौधे लगाए. हर साल फसलें लगाई जाती हैं, फिर उन्हें पकने पर काट लिया जाता है, इसे देखकर उनके मन में विचार आया कि पौधे लगाए जाएं, जिससे कि हरियाली लंबे समय तक बनी रहेगी, इसीलिए उनका पेड़ लगाने का यह क्रम बचपन से ही जारी है.
BHU में पौधे लगाने पर मिला सम्मान
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई के दौरान मदन मोहन नायक ने छात्रों की मदद से संगठन बनाकर पूरे परिसर में लगभग 50 हजार से ज्यादा पौधे लगाए, जिसकी बदौलत आज पूरा परिसर हरा-भरा है. उनके प्रयासों की बदौलत ही 1997 में गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. हरिमोहन ने उन्हें ग्रीनब्वाय की उपाधि से सम्मानित किया. फिर उन्हें 1997 में ही मालवीय पर्यावरण का सम्मान भी मिला.
पौधरोपण के लिए स्थानीय लोगों से मिला सहयोग
मदन मोहन नायक लगभग 30 सालों से पौधरोपण का काम कर रहे हैं, जिसकी बदौलत आज वे एक लाख से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं. लगातार वृक्षारोपण के लिए उन्हें स्थानीय लोगों से बहुत सहयोग मिलता है. वह ज्यादातर पौधे वन विभाग के माध्यम से लाते हैं, फिर स्थानीय लोगों और गांव की पंचायत के माध्यम से जगह का चयन करके उस पर पौधरोपण करते हैं. उन्होंने अपने पैसे से अपनी नर्सरी भी लगाई है. स्थानीय ग्रामीण दीनानाथ यादव बताते हैं कि मदन मोहन लगातार लोगों को प्रेरित करके पौधरोपण का काम कर रहे हैं. उन्होंने बहुत तरीके की औषधियां भी लगाई हैं, जिसको लेने के लिए दूरदराज से लोग उनके यहां आते हैं. इन्हीं औषधियों की बदौलत गांव में मुंबई और दिल्ली से आए हुए प्रवासियों को कोरोना से बचाव में मदद भी मिली है.
घर के पास ही बनाया औषधीय बगीचा
मदन मोहन नायक ने गांव, सड़क के किनारे और अपने खेतों के किनारे बड़ी संख्या में पौधे लगाए हुए हैं, जो आज पेड़ बनकर छाया के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने में मदद कर रहे हैं. उन्होंने अपने घर के पास ही एक औषधि बगीचा भी बनाया है, जिसमें करीब 35 तरह की औषधियां हैं. ये औषधियां लोगों को मुफ्त में उपलब्ध होती हैं, जिसे लेने के लिए वाराणसी और गाजीपुर जनपदों से भी लोग पहुंचते हैं. इन्हीं औषधियों की बदौलत ही गांव में कोरोना वायरस संक्रमण नहीं फैला, क्योंकि लोग इन औषधियों के प्रयोग से आज स्वस्थ हैं.
बाउंड्री बनाने के बजाय लगाए औषधि के पौधे
मदन मोहन नायक ने बताया कि उन्होंने अपने घर के चारों तरफ सीमेंट की चहारदीवारी बनाने की बजाय औषधि पेड़ों की बाउंड्री बनाई है और घर की छत पर भी कई ऐसी ही लताओं को लगाया है, जिनकी बदौलत उनका घर पूरी तरह से ठंडा रहता है. इससे उनके काफी पैसे भी बचे हैं. इसके साथ ही वे लोगों से भी इन्हें पेड़ पौधों को लगाने की अपील भी करते हैं और इन पौधों का ग्रामीणों को फायदा भी बताते हैं.