जौनपुर: जिले के प्रसिद्ध सूरज घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भारी लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. मान्यता है कि सूरज घाट पर 550 साल पहले श्री रामबाल दास महाराज को सूर्य भगवान ने दर्शन दिया था तभी से यहां पर कार्तिक पूर्णिमा का स्नान किया जा रहा है. यहां पर लोग दूर-दूर से स्नान करने पहुंचे. इस दौरान कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेले का भी आयोजन हुआ.
कार्तिक पूर्णिमा पर गोमती तट पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब. गोमती घाट में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
लाइन बाजार थाना स्थित प्राचीन गोमती नदी के सूरज घाट और गोमती संगम राजेपुर त्रिमुहानी, नगरदास घाट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रद्धा की डुबकी लगाई. सूरज घाट पर भोर से ही स्नान और पूजन शुरू हो गया. आस्था के इस पर्व में दर्शन पूजन के लिए ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग स्नान करने पहुंचे. भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस मेले की देखरेख करती रही. सुरक्षा के दृष्टि से पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था और सामाजिक संस्था द्वारा कार्य किया गया.
श्रद्धालु पन्नालाल प्रजापति ने जानकारी देते हुए बताया
यह जमदग्नि ऋषि का आश्रम और तपोस्थली है. उनके पुत्र परशुराम के पास एक कामधेनु गाय थी जो सभी इच्छाएं पूरी करती थी. जिनको भगवान इंद्र द्वारा कपट करके चुरा लिया गया था. इस कारण परशुराम क्रोधित होकर क्षत्रियों का नरसंहार करने लगें. तभी से यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान किया जा रहा है. घाट के पास भगवान सूर्य का मंदिर है. इस मंदिर में सबसे पहले सूर्य की रोशनी पड़ती है. यहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग स्नान करने आते है.
सूरज घाट मंदिर के महंत ने जानकारी देते हुए बताया
लगभग 550 साल पहले श्री रामबाल दास जी राम उपासना के साथ गायत्री मंत्र की उपासना करते थे. गायत्री जी के आराध्य सूर्य भगवान ने दर्शन दिया था. इसलिए इस स्थान का नाम सूरज घाट पड़ा है. तब से महाराज श्रीरामबाल दास महाराज की 11वीं पीढ़ी चल रही है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अधिकांश तीर्थ स्थलों पर स्नान एवं दान का कार्य किया जाता है. तभी से यहां भी परंपरा शुरू हुई है. घाट के पास भगवान सूर्य का मंदिर है. लोगों का मानना है कि इस मंदिर में सबसे पहले सूर्य की रोशनी पड़ती है.
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