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इलाज के लिए दर-दर की खाता रहा ठोकरें, मां के पैरों में तोड़ा दम

जौनपुर का रहने वाला एक बेटा बनारस में इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाता रहा. एक अस्पताल से भगाए जाने के बाद दूसरे अस्पताल में गया, लेकिन वहां भी इलाज नहीं मिला. आखिर में बेटे ने तड़पकर ऑटो के भीतर मां के कदमों में ही दम तोड़ दिया.

मां के पैरों में तोड़ा दम
मां के पैरों में तोड़ा दम

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Published : Apr 21, 2021, 12:58 PM IST

जौनपुर : कोरोना का कहर बदस्तूर जारी है. हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग काल के गाल में समा रहे हैं. लेकिन कई जानें इलाज के अभाव में भी जा रही हैं. ऐसा ही मामला बनारस से सामने आया है, जहां इलाज नहीं मिलने पर दर-दर की ठोकरें खाकर एक युवक ने अंत में दम तोड़ दिया.

इलाज के लिए भटकता रहा शख्स

आप को बता दें कि बनारस के अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने के बाद अंत में विनीत नाम के युवक ने ऑटो में अपनी मां के कदमों में ही दम तोड़ दिया. जानकारी के मुताबिक, जौनपुर के मड़ियाहूं थाना क्षेत्र के शीतलगंज बाजार के अहिरौली गांव के निवासी विनीत मुंबई में काम करता था. दिसंबर में वह जौनपुर लौटकर आया था. तबीयत खराब होने के कारण तब से वह जौनपुर में ही रह रहा था. सोमवार को जब उसकी तबीयत खराब हुई तो वह अपनी मां के साथ इलाज के लिए बीएचयू आया. बनारस के अस्पतालों में इलाज के लिए वो दर-दर की ठोकरें खाता रह गया, और अंत में उसने तड़प-तड़प कर ऑटो में ही दम तोड़ दिया.

इलाज नहीं मिलने पर बेटे ने मां के कदमों में तोड़ा दम

मां के कदमों में बेटे ने तोड़ा दम

मृतक की मां चंद्रकला बताती हैं कि कोरोना के चलते कोई भी डॉक्टर उन्हें देखने के लिए तैयार नहीं था. वह लगातार बनारस के चक्कर काट रहीं थीं. कोई भी अस्पताल भर्ती करने को तैयार नहीं था. वो जहां भी जातीं थीं, लोग कहते थे कि आप अपना केस लेकर कहीं और चले जाइए. वो बेबस होकर इलाज के लिए इधर-उधर भटकने लगीं. जब सभी जगहों से वह भगा दी गयीं तो निराश हो गईं. बेटे विनीत को सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही थी. अंत में कलेजे के टुकड़े ने मां के सामने ही ऑटो में दम तोड़ दिया.

कोरोना केस कहकर भगा देते थे अस्पताल

मृतक के चाचा जय सिंह बताते हैं कि व्यवस्था ठीक न होने के कारण उनके भतीजे को अपनी जान गंवानी पड़ी है. अगर स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक होती तो निश्चित रूप से उसकी जान बचाई जा सकती थी. यह स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही ही है कि उनके भतीजे ने दम तोड़ दिया. जहां भी जाते थे लोग यही कहते कि कोरोना का केस है. यही कहकर अस्पताल भर्ती नहीं करते थे. आखरी दम तक एंबुलेंस की मांग करते रह गए, लेकिन कहीं भी उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली. आखिरकार उनके भतीजे ने मां के पैरों में ऑटो में ही दम तोड़ दिया.

मृतक विनीत की मां चंद्रकला ने बताया कि बनारस में वह ऑटो के सहारे ही अस्पतालों के चक्कर काट रही थीं. जब कोई अस्पताल वाला उन्हें भर्ती करने से मना कर देता तो वह ऑटो से दूसरे अस्पताल के लिए निकल पड़तीं. शुरुआत में ऑटो वाले ने उनसे 250 रुपये की मांग की. बाद में जब उनके बेटे ने दम तोड़ दिया तो ऑटो वाले ने कुल 1200 रुपए मांगे.

'ट्रामा सेंटर की सीढ़ी से भी भगा दिया गया'

स्वास्थ्य महकमे की संवेदनहीनता का अंदाजा विनीत की मां चंद्रकला की बातों से लगाया जा सकता है. चंद्रकला बताती हैं कि जब वो अपने बेटे को लेकर ट्रामा सेंटर गईं तो वहां स्वास्थ्य कर्मियों ने उनके बेटे को सीढ़ी से भी भगा दिया. बेटे की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी, ऐसे में वह थक हारकर सीढ़ी पर ही बैठ गया था. लेकिन ट्रामा सेंटर वालों को यह भी नागवार गुजरा. उन्होंने चंद्रकला से कहा कि वह अपना केस लेकर यहां से चली जाए.

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पहले भी हो चुकी है एक बेटे की मौत

बेटे विनीत की मौत के बाद से घर में कोहराम मचा हुआ है. 65 वर्षीय चंद्रकला विधवा हैं. इससे पहले उनके बड़े बेटे संदीप की मौत किडनी की बीमारी से हो चुकी है. चंद्रकला के कुल 3 लड़के और एक लड़की है. दो बेटों की मौत के बाद से उनके सर पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा है.

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