जौनपुर: उत्तर प्रदेश का जौनपुर जिला जो मक्के के लिए मशहूर है. किसान यहां बड़े पैमाने पर मक्के की खेती करते हैं. जनपद से विभिन्न शहरों और गांवों में मक्के की डिमांड रहती है. आज कल जिले में कोरोना लॉकडाउन से बेरोजगार हुए मजदूर वर्ग के लोगों को मक्का सबसे बड़ा रोजगार का साधन बना हुआ है. कोरोना संकट ने अब जनपद के श्रमिक भुट्टा बेंचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.
वैसे तो जौनपुर जिले में होने वाली मूली की खेती पूरे देश में सबसे अधिक और स्वाद में मिठास भरी होती है. यही हाल यहां बनने वाली इमरती का भी है. जौनपुर इमरती के लिए उतना ही फेमस है. लेकिन आज कल जौनपुर मक्के को लेकर सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां मक्के का उत्पादन सबसे ज्यादा किसान करते हैं. इस फसल के बलबूते ही उन्हें अच्छी आमदनी भी होती है.
रोजगार का साधन बना भुट्टा
कोरोना संकट में जहां मक्का लोगों की सेहत को सही करने में मददगार साबित हो रहा है, वहीं इन दिनों इसी मक्के की फसल तैयार होने के बाद भुट्टे का ठेला लगाकर हजारों श्रमिक रुपये कमा रहे हैं. मक्का जनपद में श्रमिकों के लिए रोजगार का सबसे अच्छा साधन बना हुआ है. इन दिनों हर सड़क चौराहों पर भुट्टे के ठेला देखने को मिल रहा हैं. क्योंकि इन्हीं ठेलों के जरिए कई गरीबों का परिवार चल रहा है.
जनपद में उगने वाले मक्के की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके दाने बड़े होने के साथ-साथ मीठे भी होते हैं. बरसात का मौसम शुरू होने से पहले ही मक्के की डिमांड बढ़ने लगती है. बारिश के मौसम में जिले का सभी चौक चौराहा और सड़क किनारा भुट्टे के ठेलों से पट जाता है. गरम-गरम भुट्टे का स्वाद लेने के लिए लोगों की लम्बी लाइने लग जाती हैं. आज के समय में कोविड-19 से बचने के लिए जहां लोग अपने शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं. वहीं यह मक्का भी लोगों की सेहत को दुरुस्त करने में मददगार साबित हो रहा है. वहीं इन दिनों रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम भी मक्का बना हुआ है.