जालौनः आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए किशोरी शिक्षा समाधान योजना की कार्यशाला गुरुवार को उरई के विकास भवन सभागार में आयोजित की गई. इस दौरान डीएम डॉ. मन्नान अख्तर ने उन मेधावी छात्राओं को सम्मानित किया, जिनकी पढ़ाई का जिम्मा समाजसेवियों और अधिकारियों ने अपने खर्चे पर उठा रखा है. यह वह छात्राएं हैं, जो आर्थिक कमजोर होने की वजह से कक्षा आठ के बाद अपनी पढ़ाई को छोड़ना चाहती थीं.
बता दें कि डीएम डॉक्टर मन्नान अख्तर ने तीन साल पहले किशोरी शिक्षा समाधान योजना की शुरुआत की थी, जिसमें उन लड़कियों को चिन्हित किया जाता है, जो बीहड़ क्षेत्र में रहकर अपनी पढ़ाई छोड़ देती थीं या जिनके माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से अपनी बच्चियों की पढ़ाई को बंद कर देते थे.
उरई मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर ग्रैंदे का पुरवा की रहने वाली रिंकी ने बताया कि वह उस गांव से आती है, जहां बालिकाओं की शिक्षा पर जोर नहीं दिया जाता है. रिंकी के माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं, इसलिए कक्षा आठ के बाद उसकी पढ़ाई छूट गई थी, लेकिन डीएम की किशोरी शिक्षा योजना से रिंकी को कस्तूरबा विद्यालय में दाखिला मिला और आने जाने के लिए वाहन प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराया गया. जिस वजह से उसने दसवीं में 75% मार्क्स लाकर 11वीं में दाखिला ले लिया है. रिंकी की पढ़ाई का सारा जिम्मा प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में समाजसेवी उठा रहे हैं.
डीएम डॉ. मन्नान अख्तर ने बताया जिले में ज्यादातर छात्राएं 9वीं और 10वीं में अपनी पढ़ाई छोड़ देती हैं, क्योंकि स्कूल उनके गांव से दूर पड़ता है. सुविधाओं की कमी को देखते हुए प्रशासन ने किशोरी शिक्षा समाधान योजना के तहत लड़कियों का दाखिला कस्तूरबा विद्यालय में कराया, जहां उनको रहने की सुविधा दी गई.
डीएम ने बताया कि पिछले 2 वर्षों में ढाई सौ लड़कियों की पढ़ाई को पूरा किया गया है. आज ऐसी 19 लड़कियों को सम्मानित किया गया, जो जिले के अलग-अलग ब्लॉक से आती हैं. डीएम ने ऐसी छात्राओं से आगे आकर पढ़ाई पूरी करने की अपील की.