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जालौन: 167 साल पुरानी रामलीला में रावण-जटायु युद्ध का हुआ सजीव चित्रण

जालौन के कोंच नगर में पिछले 167 वर्षों से रामलीला आयोजित की जा रही है. यह रामलीला खुद में एक इतिहास को समेटे है. यहां की रामलीला मंच पर नहीं बल्कि मैदान में आयोजित की जाती है.

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Published : Oct 6, 2019, 12:18 PM IST

जालौन के कोंच नगर की रामलीला.

जालौन: रामलीला का आयोजन तो देश भर में किया जा रहा है लेकिन जालौन की रामलीला अपने आप में खास है. यहां पर रामलीला का मंचन मंच पर नहीं बल्कि मैदान में किया जाता है. यहां पर कोई भी युद्ध हो उसको मंच पर न करके मैदान में सजीव किया जाता है.

रामलीला मंचन के दौरान मारीछ वध के साथ रावण-जटाऊ युद्ध का सजीव मंचन किया गया. रावण-जटाऊ युद्ध के हजारों लोग गवाह बने जो अपने आप में एक अद्भुत नजारा दिखा रहा था. रामलीला आयोजन को देखते हुये पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा ताकि कोई गड़बड़ी नहीं हो सके.

जालौन के कोंच नगर की रामलीला.

जालौन के कोंच नगर में पिछले 167 वर्षों से रामलीला आयोजित की जा रही है. यह रामलीला अपनी ऐतिहासिकता को समेटे है. यह रामलीला अयोध्या-बनारस के बाद सबसे बड़ी मैदानी रामलीला मानी जाती है. जिसमें राम-लक्ष्मण के साथ माता सीता का किरदार छोटे-छोटे बालक निभाते हैं.


हिंदू-मुस्लिम की अनूठी मिसाल है यहां की रामलीला
इस युद्ध में राम द्वारा मारीच का वध किया जाता है. इसके बाद रावण सीता का हरण कर लेता है तो उसे छुडाने के लिये जटाऊ रावण से युद्ध करता है. जटाऊ रावण द्वारा मारा जाता है. इस युद्ध में राम, लक्ष्मण, सीता और रावण का अभिनय तो बालक और आदमी करते हैं, लेकिन मारीच और जटाऊ के पुतले बनाये जाते हैं, जिनको रामलीला के आयोजक कार्यकर्ताओं द्वारा दौड़ाते हैं. यह सब सजीव रामलीला जैसा दिखाई देता है. इसको देखने के लिये दूर-दराज से हजारों लोग आते हैं.

रामलीला समिति के आयोजकों ने बताया जिस तरह से कोंच के कलाकारों के द्वारा रामलीला में सजीव अभिनय किया जाता है. इस तरह का अभिनय पूरे देश प्रदेश में कहीं भी देखने को नहीं मिलता है. यह एक अनूठी मिसाल है जहां पर हिन्दू-मुस्लिम एक साथ मिलकर मेला मनाते हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस रामलीला का शोध अयोध्या संस्थान द्वारा किया जा चुका है. इसके अलावा इसे लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी जगह मिल चुकी है.

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