जालौन: आज 13 अगस्त को नागपंचमी का त्योहार है और आज के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में सापों को देवता के रूप में पूजा जाता है. नाग शिव के गले का आभूषण भी है ऐसे में सावन के समय सांपों की पूजा करने से नाग देवता के साथ साथ भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है. जिले के कालपी में लंका मीनार परिसर में लगने वाला मेला इस बार भी कोरोना के चलते स्थगित कर दिया गया है. लंका मीनार में नागपंचमी पर 180 फीट के नागदेवता और 95 फीट की नागिन के पूजन अर्जन करने का विशेष महत्व है और हर साल यहां मेले का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन कोविड प्रोटोकॉल के कारण इस साल भी स्थगित कर दिया गया है.
जिले के उरई मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर कालपी कस्बा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी के रूप में विख्यात है. इसे बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. इस नगर में ऐतिहासिक धरोहरों में मौजूद लंका मीनार के परिसर में डेढ़ सौ वर्षों से नाग पंचमी के दिन मेला और दंगल का आयोजन होता था. जिस कारण यहां कानपुर देहात, हमीरपुर, औरैया, महोबा और जालौन जिले के सभी क्षेत्रों से आकर लोग यहां नाग पंचमी के दिन पूजा और अर्चना करते हैं, लेकिन कोरोना काल के चलते कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. आयोजकों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए परिसर में बने नाग और नागिन का विधि विधान से पूजन और अर्चन किया.
बता दें इस लंका मीनार का निर्माण बाबू मथुरा प्रसाद ने सन 1875 में इसका निर्माण कराया था. इस लंका मीनार को बनने में 25 वर्षों का समय लगा था और इसकी लंबाई लगभग 30 मीटर है. लंका मीनार के गेट के अंदर प्रवेश करते ही लंका प्रांगण में पहुंचते ही 180 फीट के नागदेवता और 95 फीट की नागिन स्थापित है. नाग पंचमी के दिन निगम परिवार इनकी पूजा अर्चना करता है. सबसे पहले लोगों को नाग नागिन के ही दर्शन होते हैं. बाद में लंका प्रांगण के अंदर जा सकते हैं.