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क्या है बुंदेलखंड में विजयादशमी पर पान खाने की परंपरा का महत्व? - jaluan news

उत्तर प्रदेश के जालौन में विजयादशमी पर पान खिलाने की परंपरा है. कहा जाता है कि रावण जलाने के बाद घर परिवार के सभी सदस्य पान खिलाकर एक दूसरे का मुंह मीठा करते और छोटे जन बड़े सदस्य का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं.

विजयदशमी पर पान खाने की परंपरा का महत्व.

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Published : Oct 8, 2019, 8:59 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 11:40 PM IST

जालौन:असत्य पर सत्य की जीत का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. विजयादशमी के दिन पान खाकर लोग असत्य पर हुई सत्य की जीत की खुशी मनाते हैं. साथ ही एक दूसरे से गले मिलकर पान खिलाकर आपस में प्रेम और स्नेह को बढ़ाते हैं.

विजयदशमी पर पान खाने की परंपरा का महत्व.

क्या है विजयादशमी पर पान खिलाने का महत्व

  • विजयादशमी का पर्व पूरे बुंदेलखंड में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
  • इस दिन हथियारों की पूजा बड़े ही विधि-विधान से की जाती है.
  • बुंदेलखंड में विजयादशमी के दिन पान खाना और एक दूसरे को पान खिलाने का खास महत्व है.
  • इसके लिए बाजार में पान की बड़ी-बड़ी दुकानें लगती हैं.
  • इन दुकानों में दुकानदार मीठे पान को बड़ी मात्रा में पहले से बनाकर तैयार रखते हैं.
  • रावण जलाने के बाद घर परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे का मुंह मीठा करते और छोटे बड़े के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं.
  • पान को जीत का प्रतीक माना गया है.
  • इस दिन सही रास्ते पर चलने और आपस में प्रेम स्नेह बाटने का बीड़ा उठाते हैं.
  • पान का पत्ता मान और सम्मान का प्रतीक है, इसलिए इसे शुभ कार्यों में इस्तमाल किया जाता है.

दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और जीत दर्ज करने के बाद शस्त्रों का पूजन किया था. इसके बाद सभी को पान खिलाया था. यह स्नेह प्रेम और वाणी में मधुरता का प्रतीक है.
- महंत, ठडेश्वरी मंदिर

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Last Updated : Oct 8, 2019, 11:40 PM IST

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