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जालौन: 'देश में माटी कला से जुड़े कामगारों को सशक्त बनाना पड़ेगा'

उत्तर प्रदेश के जालौन पहुंचे माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने कामगारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक चाकों का वितरण किया. उन्होंने कहा कि देश के बाजारों को चीन निर्मित बर्तनों और मूर्तियों से मुक्त कराना है तो सबसे पहले अपने देश में माटी कला से जुड़े कामगारों को सशक्त बनाना पड़ेगा.

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माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने इलेक्ट्रानिक चाक का वितरण किया.

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Published : Sep 1, 2020, 2:27 PM IST

जालौन:माटी कला से जुड़े रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार लगातार काम कर रही है. इसी क्रम में जिले पहुंचे माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने कामगारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से टूल किट का वितरण किया. उन्होंने उरई मुख्यालय के खादी ग्राम उद्योग कार्यालय में इस व्यवसाय से जुड़े कामगारों को इलेक्ट्रॉनिक चाकों का वितरण किया, जिससे वे अपने व्यवसाय को बढ़ाकर आत्मनिर्भर बन सकें.

माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति
जालौन पहुंचे माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने सबसे पहले एक कलेक्ट्रेट में स्वयं सहायता समूह के जरिए संचालित प्रेरणा कैंटीन का निरीक्षण किया, जहां स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए हस्त निर्मित उत्पादों को देखकर उन्होंने इसकी सराहना भी की. इसके बाद खादी ग्राम उद्योग विभाग में माटी कला से जुड़े 29 कामगारों को इलेक्ट्रॉनिक चाकों का वितरण करने के साथ उन्हें प्रमाण पत्र भी भेंट किया.माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि प्रदेश सरकार ने माटी कला से जुड़े कामगारों को लाभ पहुंचाने के लिए इस बोर्ड का गठन किया है, क्योंकि देश के बाजारों को चीन निर्मित बर्तनों और मूर्तियों से मुक्त कराना है तो सबसे पहले अपने देश में माटी कला से जुड़े कामगारों को सशक्त बनाना पड़ेगा. इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं और इसी उद्देश्य से इन सभी कामगारों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वितरित किया जा रहा है, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार की यह मंशा है कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए माटी कला से जुड़े कामगारों को स्वावलंबी बनाया जाए. बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि मुख्यमंत्री स्वराज योजना के अंतर्गत माटी कला के कारीगरों को आधुनिक ढंग से प्रशिक्षण भी दिलाया जा रहा है. जनपद स्तर पर जिम्मेदार अफसरों को निर्देशित किया गया है कि समितियां गठित कर कार्यक्रम को बढ़ावा और कारीगरों को अनुदान दिलाया जाए. मिट्टी के बर्तनों के उपयोग से प्रदूषण खत्म होता है, इसलिए जागरूकता कार्यक्रम इस प्रकार के चलाया जाए कि लोग अधिक से अधिक मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें.

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