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Published : Jul 15, 2023, 8:49 AM IST

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हाथरस में खेतों में घुसना शुरू हुआ यमुना नदी का पानी, किसानों हो रही परेशानी

पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश के चलते इसका असर अब मैदानी इलाकों में भी दिखने लगा है. यमुना नदी का जल स्तर बढ़ने से किसानों को अपनी फसलों के बर्बाद होने का डर सता रहा है.

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हाथरस : जिले में भले ही अभी बहुत ज्यादा बरसात न हुई हो, लेकिन आसपास और दूरदराज के मैदानी व पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश का असर यहां भी दिख रहा है. जहां पड़ोसी जिले मथुरा व आगरा में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ा है. यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से यमुना के तट के नजदीक जिले की सादाबाद तहसील क्षेत्र के गांव मिढ़ावली के आसपास के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं. जिला प्रशासन हालात पर नजर रखे हुए है.

दरअसल, गांव मिढ़ावली हाथरस जिले की तहसील सादाबाद और मथुरा जिले के बल्देव बॉर्डर पर है. इस गांव से करीब तीन से चार किमी की दूरी पर यमुना नदी है. कुछ किसानों ने मौसमी सब्जियों के अलावा बाजरा, चरी आदि की फसल कर रखी है. लिहाजा जैसे-जैसे यमुना नदी का जलस्तर बढ़ रहा है वैसे-वैसे किसानों की चिंताएं भी बढ़ रही हैं. नदी का पानी बढ़ते-बढ़ते गांव मिढ़ावली के कुछ किसानों की फसलों तक आ पहुंचा है. खेतों में खड़ी फसल पानी में डूबनी शुरू हो चुकी है. किसानों को डर है कि यदि नदी में और पानी बढ़ा तो उनकी फसल डूबकर बर्बाद हो जाएगी. किसान पल-पल यमुना नदी में बढ़ रहे जलस्तर को देखकर आंकलन कर रहे हैं.


एसडीएम संजय कुमार का कहना है कि 'यमुना नदी में जल स्तर बढ़ने का कारण हथिनी कुंड से अधिक पानी का छोड़ा जाना है. क्षेत्र में खेती के लिए सिंचाई सुविधाएं न के बराबर हैं. यहां गांव मिढ़ावली के अधिकांश किसान पानी की सिंचाई मिढ़ावली की तरफ से पाइप द्वारा करते आ रहे हैं. गांव की आबादी और यमुना नदी के वर्तमान बहाव के बीच काफी फासला है. यमुना का पानी ज्यादा से ज्यादा वनखंडी महादेव से यमुना की तरफ बस एक किमी दूरी तक रहेगा. जल का बहाव खेतों की तरफ जरूर है, लेकिन सिंचाई के पर्याप्त साधन न होने की वजह से वहां खेती न के बराबर है. इसलिए फसल को अधिक नुकसान नहीं होगा.'



एसडीएम ने बताया कि 'जिलाधिकारी के निर्देश पर तहसीलदार, नायब तहसीलदार और लेखपाल की टीम सतर्क है और नजर बनाए रखे हुए है. पुलिस को भी सतर्क रखा गया है. गांव में ऐलान करते हुए सभी को धैर्य के साथ इस स्थिति का सामना करने का आग्रह किया गया है.'

ग्रामीण अतुल नारायण बताते हैं कि 'करीब 45 साल पहले 1978 में यमुना नदी में भयंकर बाढ़ आई थी, तब यहां वनखंडी महादेव मंदिर तक नदी का पानी पहुंच गया था, लेकिन गांव तक नहीं पहुंचा था. ग्रामीण और किसान 1978 से भी भयंकर बाढ़ के अनुमान से डरे हुए हैं.'

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