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राज्य महिलाओं की उपाध्यक्ष को महिलाओं ने बताया अपना दर्द - हाथरस राज्य महिलाओं की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह

हाथरस में राज्य महिलाओं की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह, सदस्य निर्मला दीक्षित ने महिला और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर सुनवाई की. सुनवाई में ज्यादातर मामले घरेलू हिंसा के सामने आए हैं.

महिलाओं की जनसुनवाई
महिलाओं की जनसुनवाई

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Published : Feb 4, 2021, 5:46 PM IST

हाथरस:जिले में बुधवार को राज्य महिलाओं की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह, सदस्य निर्मला दीक्षित ने महिला और बच्चियों की सुरक्षा के संबंध में सुनवाई की. आयोग की टीम ने कुछ फैक्टरियों का दौरा कर उनमें चल रहे स्वयं सहायता समूह के बारे में जानकारी ली. आयोग की उपाध्यक्ष ने कहा कि महिलाएं पहले से अधिक जागरूक हैं. जनसुनवाई के दौरान अधिकांश केस घरेलू हिंसा के सामने आए हैं.

'महिलाएं पहले से ही हैं जागरूक'

आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने हाथरस के बहुचर्चित बिटिया प्रकरण पर बताया कि आयोग ने इस पर पूरा संज्ञान लिया था. किसी भी घटना का आयोग प्राथमिकता से संज्ञान लिया जाता है. योगी सरकार 24 घंटे इसके लिए तत्पर है. सरकार महिला और बच्चियों की सुरक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के तहत अधिकांश महिलाएं अपने घरों में ही बैठकर अपनी आर्थिक व्यवस्था और अपने आप को सशक्त बना रही हैं. जो महिलाएं घर से बाहर निकलती है, वे अपनी सुरक्षा स्वयं कर रही हैं.

'महिलाओं को 100 के बजाय मिलें 500 रुपये'

उन्होंने बताया कि हाथरस में स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं. कोई गारमेंट का काम कर रहा है, तो कोई आचार और हींग का काम कर रहा है. इसी क्रम में हम कुछ फैक्टरियां भी शुरू करने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि आयोग चाहता है कि यह लोग पैकिंग, लेबलिंग और मार्केटिंग में भागीदारी निभाएं. इससे वेंडर इनसे 100 रुपये का सामान लेकर एक हजार रुपये में नहीं बेच पाएगा. इस समान के इन्हें भी 500 रुपये तक मिलें.

'माइक्रो इंडस्ट्री के लिए मिल रहा लोन'

आयोग की उपाध्यक्ष ने बताया कि माइक्रो इंडस्ट्री के लिए योगी और मोदी सरकार लोन उपलब्ध करा रही है. लोगों को लोन के बारे में जानकारी देनी होगी. इससे लोग और सशक्त होंगे. लोग अपने घरों पर ही बैठकर अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकेंगे. आयोग की उपाध्यक्ष ने बताया कि बुधवार को जनसुनवाई में करीब दस महिलाओं की समस्याएं सुनी गईं. इनमें अधिकांश केस घरेलू हिंसा के थे.

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