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Kanwad Yatra 2023: माता-पिता के लिए 3 भाई पत्नियों के साथ बने श्रवण कुमार - Ramghat Ganga Bank Bulandshahr

हाथरस के 3 भाइयों ने अपनी पत्नियों के साथ बुजुर्ग माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर 85 किलोमीटर तक पैदल यात्रा की. यह परिवार हाथरस के विलेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचकर भोले बाबा को गंगाजल से अभिषेक किया.

माता-पिता
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Published : Jul 17, 2023, 6:42 PM IST

Updated : Jul 17, 2023, 7:52 PM IST

माता-पिता के साथ भाइयों ने बताया.


हाथरस:जनपद के 3 भाइयों ने त्रेतायुग के श्रवण कुमार की यादों को ताजा कर दिया है. यहां तीन भाइयों ने अपनी-अपनी पत्नियों के साथ मिलकर हाथरस से करीब 85 किलोमीटर दूर बुलंदशहर के रामघाट गंगा तट पर माता-पिता को स्नान कराकर गंगाजल के साथ कांवड़ में बैठाकर पैदल लेकर हाथरस पहुंचे. बुजुर्ग माता-पिता ने कहा कि इन्हें पाला पोसा था. इसलिए अब यह हमारा पालन-पोषण कर रहे हैं.

बेटों ने पत्नियों के साथ लिया प्रणःकस्बा सासनी के हरिनगर कालोनी निवासी बदन सिंह बघेल (80) नेत्रों से दिव्यांग हैं. वहीं, उनकी पत्नी अनार देवी के पैरों में तकलीफ रहती है. बदन सिंह के तीन बेटे रमेश कुमार, विपिन कुमार और योगेश कुमार हैं. तीनों बेटों की शादियां हो चुकी है. मीडिया से बात करते हुए बेटों ने कहा कि उनके मन में ख्याल आया कि इस बार क्यों न माता-पिता को गंगा स्नान कराया जाए. इसके साथ ही क्यों न उन्हें कांवड़ में लाया जाए. इस पर तीनों भाइयों ने अपनी-अपनी पत्नी के साथ प्रण किए. इसके बाद सभी मिलकर बुजुर्ग माता-पिता को लेकर अलीगढ़ के रामघाट ले जाने के बारे में आपस में बात की. साथ ही वहां गंगा स्नान कराकर कांवड़ के जल के साथ उन्हें कंधों पर लेकर आने का निर्णय लिया.

85 किलोमीटर की पैदल यात्राःयोगेश ने कहा, ऐसा उनके माता-पिता के दिए संस्कारों की वजह से हो पाया है. उन्होंने कहा कि वह करीब 85 किलोमीटर तक अपने माता-पिता को कंधे पर लेकर चले हैं. वह 12 जुलाई को रामघाट गंगा तट से निकले थे. 16 जुलाई की रात 9 बजे वह वापस अपने घर पहुंचे. अब विलेश्वर महादेव मंदिर पर भोले बाबा का गंगाजल से अभिषेक करेंगे.


माता-पिता को वृद्धा आश्रम में न छोड़ेंःवहीं, उनके दूसरे बेटे विपिन कुमार ने कहा कि ऐसा करना उन्हें अच्छा लगा. उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि जैसा वह कर रहे हैं. ऐसे ही सभी लोग अपने माता-पिता की सेवा करें. सभी थोड़ा-थोड़ा अपने माता पिता के लिए श्रवण कुमार बनने की कोशिश करें. उन्हें वृद्धा आश्रम में न छोड़ें.


कांवड़ यात्रा कभी नहीं की: बुजुर्ग आनार देवी ने कहा कि उनके बेटे बहुत अच्छे हैं. जो उन्हें कंधे पर रखकर यहां तक लेकर आए हैं. उन्होंने कहा वह चाहती हैं कि सभी बेटे अपने माता-पिता की सेवा उनके बेटे जैसे ही करें. वहीं, नेत्रहीन बदन सिंह ने कहा कि उनके बेटों ने गंगा में उन्हें खूब नहलाया. इसके बाद अपने कंधे पर रखकर उन्हें लेकर लाए हैं. उन्होंने कहा कि वह गंगा तो बहुत बार गए थे. लेकिन कांवड़ यात्रा कभी नहीं की थी. यहां उनके बेटे ही लाए हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक उन्होंने अपनों बेटों को पाला पोसा था. अब उनके बच्चे उन्हें पाल रहे हैं.

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Last Updated : Jul 17, 2023, 7:52 PM IST

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