हाथरस: संगीत शिरोमणि, हिंदी भूषण, स्वांग विधा के पुरोधा पंडित नथाराम गौड़ जयंती हाथरस में मनाई गई. इस मौके पर पंडित नथाराम लोक साहित्य शोध संस्थान द्वारा स्वांग नौटंकी का कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वल्लन के साथ हुई. कलाकारों ने 'शंकरगढ़ संग्राम, जमुना-हरण' नाटक का मंचन किया, जिसे अतिथियों और दर्शकों ने खूब सराहा. कलाकारों ने लुप्त होती लोक विधाओं को लेकर चिंता भी व्यक्त की.
पंडित नथाराम गौड़ की जयंती पर यहां आज भी होती है नौटंकी, आप भी देखें...
हाथरस में पंडित नथाराम गौड़ जयंती पर नौटंकी का आयोजन किया गया. इस दौरान कलाकारों ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि यह लोक कला लुप्त होती जा रही है, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है.
कलाकारों ने कहा कि नौटंकी नौ रसों से बनती है. इसलिए आज हाथरस का नाम है. शासन-प्रशासन को इस विद्या को आगे बढ़ाने के लिए कुछ करना चाहिए. कलाकार चंद्रपाल ने बताया कि पहले जब नौटंकी स्वांग हुआ करता था तब गांव देहात में भीड़ उमड़ पड़ती थी. लोग दूर-दूर से पैदल चलकर देखने आया करते थे. अब नौटंकी विधा खत्म हो चुकी है. अब इस कार्यक्रम को देखने नाममात्र को लोग आते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि नौटंकी कलाकारों के लिए सरकार को कुछ सोचना चाहिए.
वहीं, एक अन्य कलाकार रुस्तम सिंह ने बताया कि इस कला से ही उनके बच्चे पलते हैं. आज यह विधा लुप्त हो रही है, सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिलती है. सरकार से अनुरोध है कि कलाकारों के लिए पेंशन आदि की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि उनके बच्चे पल सकें.
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लोक विधा से जुड़े दामोदर शर्मा ने कहा कि किसी भी कलाकार को आज तक पुरस्कार नहीं दिया गया. जबकि कलाकार मेहनत करता है याद करता है गाता है. उन्होंने कहा कि कलाकारों का जीवन कैसे कटता है कहना बहुत कठिन है. कायर्कम में शामिल डॉ. अष्टभुजा मिश्रा ने कहा कि लोक विधा को अधिक से अधिक दिखाने की जरूरत है. कार्यक्रम संचालक डॉक्टर खेमचंद यदुवंशी ने कहा कि साल में सिर्फ एक बार इस तरह के आयोजन से लोक कलाओं को कितना बचाया जा सकेगा यह कहना मुश्किल है.