उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

पैदा होते ही दफना दी गईं थीं पद्मश्री गुलाबो सपेरा, मां-मौसी ने पांच घंटे बाद जिंदा निकाला था

By

Published : Mar 26, 2023, 11:01 PM IST

कालबेलिया नृत्य की जनक पद्मश्री गुलाबो सपेरा के शुरूआती जीवन की कहानी बड़ी प्रेरणादायी है, चलिए जानते हैं इस बारे में.

हाथरस महोत्सव में पद्मश्री गुलाबो सपेरा
हाथरस महोत्सव में पद्मश्री गुलाबो सपेरा

हाथरस: जिस समाज में बेटियों को जिन्दा रहने का हक नहीं था, पैदा होते ही दफना दी जाती थीं, उसी समाज की बेटी आज समाज के साथ-साथ देश का नाम विदेश में रोशन कर रही है. अगर इस बेटी को उस दिन दफन किये जाने के बाद उसकी मौसी ने जीवन नहीं दिया होता तो आज न तो लोक नृत्य कालबेलिया होता और न उसकी जनक जनक गुलाबो सपेरा. वह रविवार को हाथरस महोत्सव में प्रस्तुति देने आई थी.

हाथरस महोत्सव में पद्मश्री गुलाबो सपेरा

गुलाबो सपेरा ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें पैदा होते ही जमीन में दफन कर दिया गया था, लेकिन मां व मौसी ने उन्हें 5 घंटे बाद जमीन खोदकर निकाल लिया था. जमीन में घंटों दफन रहने के बाद भी उनकी सांसें शायद इसलिए चलतीं रहीं क्योंकि उन्हें लोक नृत्य कालबेलिया को जन्म देना था. उन्होंने कहा कि उनकी 3-3 मां हैं. उनकी मौसी, जन्म देने वाली मां और धरती माता. उन्होंने कहा कि मेरी मां पढ़ी-लिखी नहीं थी, समाज का दबाव था तब भी वह धरती माता के पेट से उन्हें वापस लेकर आई थी. उन्होंने कहा समाज की कुप्रथा के खिलाफ जाकर मेरी मां का प्यार और हिम्मत ही थी जो उन्होंने 5 घंटे धरती मां के पेट में रहने के बाद भी मुझे जीवित बचा लिया. उन्होंने कहा कि हर मां अपने पेट मे पल रही बच्ची को बचा सकती हैं. कन्या भ्रूण हत्या को रोक सकतीं हैं.

पद्मश्री गुलाबो सपेरा

गुलाबो सपेरा ने बताया कि जब वह 5- 6 महीने की थी तब पिता उन्हें अपने साथ ले जाया करते थे. तब पिता सांपों का झूठा दूध उन्हें पिला दिया करते थे. वह बीन की धुन पर सांपों को नाचते देख खुद भी ढपली और बीन की धुन पर डांस करने लगीं. जब वह 5 साल की हुई और पुष्कर मेला में डांस कर रही थी तभी सरकारी लोगों की नजर उन पर पड़ गई और आगे चलकर वह गुलाबो सपेरा बन गईं.

गुलाबो सपेरा

गुलाबो से गुलाबो सपेरा बनने की वजह भी उन्होंने बताई कि उनका कोई सरनेम नहीं था. लोगों ने गुलाबो नाथ कहना शुरू कर दिया तब उन्होंने कहा यह नाम तो मर्दों का लगता है. जब उनसे पूछा गया कि आपका नाम क्या रखें तब उन्होंने कहा कि मैं सांप का डांस करती हूं. तो मेरा सरनेम सपेरा कर दीजिए.

हाथरस महोत्सव में गुलाबो सपेरा

पद्म श्री गुलाबो सपेरा ने बताया कि सन 1985 में उन्हें पहली बार अमेरिका जाने का मौका मिला था. इसके बाद वह 165 देश जा चुकी हैं. उन्होंने जानकारी दी कि 1985 के बाद उनके समाज में बेटियों की हत्या करना बंद हो गया . आज हमारे घरों में कई-कई बेटियां हैं, जो आज पीहर और ससुराल वालों को कमा कर खिला रही हैं.

यह भी पढ़ें:Ram Ramaiya Program: गायक अनूप जलोटा ने कहा- भजन मनोरंजन का साधन नहीं

ABOUT THE AUTHOR

...view details