हाथरस:इन दिनों जिले भर में बुखार का प्रकोप है, आए दिन बुखार से लोगों के मरने की भी खबरें आ रही हैं. सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट सभी में बुखार के मरीजों की भरमार है. बेहतर इलाज और पैसे की बचत के लिए जो जिले के कोने-कोने से जिला अस्पताल आते हैं. लेकिन यहां आकर भी उन्हें निराशा ही मिलती है. पहले से अपनी बीमारी से परेशान व्यक्ति को यह घंटों इंतजार के बाद इलाज मिल पाता है.
जिला अस्पताल में सभी तरह के बुखार के अलावा डेंगू की भी जांच हो रही है. अस्पताल में बुखार के मरीज खासी संख्या में आ रहे हैं. यहां खून परीक्षण केंद्र पर भी लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई है. खून की जांच के लिए कतार में बैठी एक मरीज गायत्री ने बताया कि उसका खून टेस्ट होना है, लेकिन अभी वह ठीक नहीं है. जांच के लिए उसका नंबर कितनी देर में आएगा कुछ पता नहीं है.
चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल, यहां नहीं है फिजिशियन
बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए लोग दूर-दराज से हाथरस में जिला अस्पताल आते हैं, लेकिन यहां भी वही हाल ढाक के तीन पात नजर आता है. कहने को तो जिला अस्पताल के लिए डॉक्टरों के 25 पद स्वीकृत हैं जिनमें से सिर्फ 8 डाक्टरों की तैनाती है. हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें एक भी डॉक्टर फिजिशियन नहीं है.
वहीं, दूसरी मरीज गीता शर्मा ने बताया कि मुझे शुगर टेस्ट करानी है जो नहीं हो पा रही है, यहां रोज कह देते हैं कि मशीन ठीक नहीं है. वहीं एक शख्स ने बताया कि वह अस्पताल इलाज लेने के लिए आए थे लेकिन वापस जा रहे हैं. इस समय काफी भीड़ है डॉक्टर भी सिर्फ एक ही बैठे हुए हैं. सर्दी, बुखार, जुखाम के मरीजों के देखने के लिए कोई नहीं है. उन्होंने बताया कि जैसे तैसे जांच लिखवाई थी भीड़ की वजह से वह भी नहीं करा पा रहे हैं, उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी के कारण यहां यह अव्यवस्था है.
यह भी पढ़ें-वायरल फीवर का कहर जारी, फिरोजाबाद में एक माह में 60 हजार लोग बुखार से पीड़ित
अस्पताल के सीएमएस डॉ. सूर्य प्रकाश ने बताया कि जिला अस्पताल में रोजाना नई पुराने मिलाकर 15 सौ से 18 सौ तक की ओपीडी होती है. उन्होंने बताया कि बुखार के ओपीडी और इमरजेंसी में करीब दो सौ मरीज आ रहे हैं. सीएमएस ने बताया कि हर तरह के बुखार की जांच के अलावा डेंगू की भी जांच अस्पताल में कराई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में डाक्टरों की काफी कमी है 25 में से सिर्फ 8 डॉक्टर हैं. जनरल फिजिशियन एक भी नहीं है. उन्होंने बताया यह बड़ी समस्या है लेकिन फिर भी हम लोग एमबीबीएस स्तर की नॉलेज के आधार पर मरीजों को इलाज देते हैं. इन्हीं आठ डॉक्टरों में से एक से दो डॉक्टरों को इमरजेंसी में ड्यूटी करनी पड़ती है. अब सवाल यह उठता है कि जो अस्पताल खुद ही बीमार हो वह लोगों को क्या इलाज दे पाएगा.