हरदोई: जिले की कंडोना ग्राम सभा में आज भी 20 वर्षों से बदहाली छाई हुई है. यह गांव विकास की धरा से कोसों दूर है. बदहाली यहां इस कदर व्याप्त है कि इसका असर अब युवाओं के जीवन पर पड़ रहा है. इस गांव में कोई भी अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहता. इसकी अहम वजह गांवों को जाने वाला जर्जर मार्ग है. ये मार्ग 12 महीनों तक कीचड़ से लबालब रहता है और यहां जलभराव की समस्या है.
देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट. आज भी गांव के सौ से डेढ़ सौ युवा ऐसे हैं, जिनकी उम्र 27 वर्ष के आसपास है, लेकिन उनकी शादियां नहीं हो रही हैं. इस वजह से युवाओं के साथ ही उनके परिजन भी चिंतित रहते हैं. ऐसे में सभी ग्रामीणों ने गांव के बदहाल मार्ग को दुरुस्त किए जाने की मांग शासन व प्रशासन से की है, जिससे कि उनके गांव में भी शहनाई की गूंज सुनाई दे सके.
एक ऐसा गांव जहां के नौजवान आज भी हैं कुंवारे
हरदोई जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर मौजूद कंडोना ग्राम सभा में करीब 145 गांव शामिल हैं. इनमें मात्र 5 गांव, ग्राम सभा में आने वाले मुख्य मार्ग से जुड़े हुए हैं. इन पांच गांवों में मोहनपुरवा, बहर, नयागांव सहित दो अन्य गांव हैं, जिनकी आबादी करीब 2 से 3 हजार के आसपास की है. हरदोई-लखनऊ राजमार्ग से गांवों को आने वाला करीब डेढ़ से दो किलोमीटर लंबा मार्ग विगत 20 वर्षों से अपेक्षा का शिकार है. इस गांव के युवाओं की शादियों पर भी बदहाल मार्ग ने ग्रहण लगा दिया है.
यहां की बदहाली देखते हुए कोई भी अपनी बेटियों का विवाह यहां नहीं करना चाहता है. युवतियां भी इस दलदल बने गांव में अपने नए जीवन की शुरुआत करने से कतराती हुई नजर आती हैं. यहां के लोग व युवा भले ही सक्षम हों और एक वैवाहिक जीवन को शुरू करने योग्य हों, लेकिन ये बदहाल मार्ग उनकी शादी होने नहीं दे रहा है. कंडोना में सैकड़ों ऐसे युवा हैं, जिनकी उम्र 27 वर्ष के आस-पास है. ये सभी आज कुंवारे बैठे हुए हैं.
जब ईटीवी की टीम ने इस गांव का जायजा लिया तो हालात चौंकाने वाले थे. यहां दो किलोमीटर तक लंबे इस मार्ग पर आवागमन करना बेहद मशक्कत भरा है. स्थानीय युवाओं व उनके परिजनों से जब बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने आते ही अपना दर्द बयां किया. युवाओं ने सरकार से इस मार्ग को दुरुस्त कर विकसित करने की मांग की, जिससे कि इन युवाओं की शादियां हो सकें और उनका परिवार बस सके.
आए दिन हादसों को दावत देता है ये मार्ग
बेहद लंबे इस मार्ग के जर्जर व दलदल में तब्दील होने से यहां आए दिन कोई न कोई हादसे घटित हुआ करते हैं. कभी पैदल चलने वाले लोग गिर कर चोटिल हो जाते हैं तो कभी कोई वहां कीचड़ में फंस कर गिर जाता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि दिन में तो यहां छोटे-मोटे हादसे होते ही हैं, लेकिन रात-बिरात यहां बड़ी दुर्घटनाएं भी घटित हो जाती हैं. हाल ही में एक सड़क हादसे में युवक की जान जाने की बात भी ग्रामीणों ने कही.
नहीं आते हैं नाते-रिश्तेदार
वहीं साफ सुथरे कपड़े पहनना भी अब इन गांव वालों के लिए एक सपना हो गया है, क्योंकि साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ये घर से तो निकलते हैं, लेकिन बाहर जाते-जाते उनके कपड़े कीचड़ से सन चुके होते हैं. वहीं अब ग्रामीणों के रिश्तेदारों ने भी उनसे नाता खत्म कर लिया है. इस दलदल नुमा जर्जर मार्ग को पार करके कोई भी अपने लिए मुसीबत नहीं खड़ी करना चाहता है.
सरकार व प्रशासन से की गांव के विकास की मांग
ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से गांव के मुख्य मार्ग को दुरुस्त किए जाने की मांग की है, जिससे कि उनके बेटों की शादियों में अड़चन पैदा न हो. वहीं जिम्मेदार अधिकारियों से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कैमरे से बचना शुरू कर दिया.
हालांकि फोन पर वार्ता के दौरान सिटी मजिस्ट्रेट जंग बहादुर यादव ने पूरे प्रकरण को संज्ञान में लिया. साथ ही संबंधित विकास विभाग के जिम्मेदारों को यहां की स्थितियों का जायजा लेने के लिए जल्द ही भेजे जाने की बात कही. अब ऐसे में यहां के नौजवानों की शादियां भविष्य में हो सकेंगी या फिर ये जर्जर मार्ग ऐसे ही इनके भविष्य पर ग्रहण लगाए रहेगा, ये देखने वाली बात जरूर होगी.