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मदर्स डे: इन माताओं को आज भी है अपने बेटों के आने का इंतजार - 10 मई को मातृ दिवस

10 मई को पूरी दुनिया में मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है. वहीं हरदोई जिले में कुछ ऐसी भी माताएं हैं, जिन्हें उनके बच्चों ने वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर कर दिया. बावजूद इसके मां का प्यार अपने बच्चों के लिए बरकरार है.

वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर.
वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर.

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Published : May 10, 2020, 8:48 PM IST

हरदोई: पूरा विश्व आज यानि 10 मई के दिन मातृ दिवस मना रहा है. वहीं जिले में कुछ माताएं ऐसी हैं, जिन्हें आज भी अपने बेटों के आने का इंतजार है. वृद्धाश्रम में रहने वाली माताएं अपने बच्चों का बेसब्री से इंतजार रही हैं.

वृद्धाश्रम में रहने को छोड़ दिया
हरदोई में जिला कल्याण द्वारा संचालित शिक्षोन्नयन संस्थान अल्लीपुर में वृद्धाश्रम में रह रही माताओं को अपने बच्चों के आने का इंतजार है. विकासखंड पिहानी के मंसूरनगर की रहने वाली शकुंतला ने अपने इकलौते बेटे की परवरिश की और उसकी शादी की. शादी के बाद बेटे और बहू ने उन्हें वृद्धाश्रम में रहने के लिए छोड़ दिया. विगत 2 वर्षों से शकुन्तला वृद्धा आश्रम में ही जीवन यापन कर रही हैं.

वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर.

महिलाएं वृद्धाश्रम में जीवनयापन कर रहीं
विकासखंड हरपालपुर के इकनौरा गांव की रहने वाली निर्मला ने अपने बच्चों का लालन-पालन अकेले ही किया. बेटे और बेटी की शादी करने के बाद बेटे और बहू निर्मला को खाना पीना समय से नहीं देते थे.

लोगों के कहने पर निर्मला वृद्धाश्रम आकर रहने लगीं. विगत डेढ़ साल से निर्मला वृद्धा आश्रम में ही रह रही हैं. ऐसी तमाम महिलाएं वृद्धाश्रम में जीवन व्यतीत कर रही हैं और उन्हें अब भी अपने बच्चों के आने का इंतजार है.

बच्चों की राह देखती महिलाएं.

बच्चों के प्रति प्रेम
वृद्धाश्रम के संचालक का कहना है कि कुछ माताओं का उनके परिवार ने तिरस्कार किया, लेकिन इसके बावजूद भी माताओं का प्यार अपने बच्चों के लिए कम नहीं हुआ. सबका प्रयास रहता है कि इन्हें इनके परिवार से मिलवाया जाए या कोई मिलने आए.

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