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हरदोई: ट्रेजरी में 4 करोड़ का पेंशन घोटाला, दो ट्रेजरी अधिकारी निलंबित - हरदोई

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में मौजूद ट्रेजरी में लंबे समय से चल रहे करोड़ों के पेंशन घोटाले का खुलासा हुआ है. बुजुर्गों की पेंशन से अपनी जेबें भरने वाले कोषागार विभाग के दो तत्कालीन जिम्मेदार अफसरों को निलंबित कर जांच बैठा दी गई है.

घोटाला सामने आने के बाद हुई कार्रवाई
घोटाला सामने आने के बाद हुई कार्रवाई

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Published : Apr 28, 2020, 7:08 PM IST

हरदोई: जिले में विगत लंबे समय से चल रहे ट्रेजरी घोटाले के खुलासे का दौर अब शुरू हो गया है. शुरुआती रूप में फिलहाल 4 करोड़ के आस-पास के गबन की पुष्टि होने पर दो जिम्मेदार अफसरों को निलंबित कर अग्रिम जांच की जा रही है. वर्ष 2010 से 2017 के बीच कोषागार विभाग के जरिए 4 करोड़ 93 लाख 8 हजार 734 रुपये की वित्तीय अनियमित्ता की गई थी.

तमाम ऐसे लोगों को पेंशन दी गई थी, जो कभी सरकारी कर्मचारी रहे ही नहीं. वहीं तमाम फर्जी लोगों को भी पेंशन जारी की गई थी, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं था. 2010-17 के बीच हुए घोटाले में पूर्व में लेखाकार राकेश कुमार और सहायक कोषाधिकारी दिनेश प्रताप सिंह का निलंबन कर उनके ऊपर एफआईआर दर्ज कराई गई थी. वहीं अब शासन की ओर से गहनता से जांच होने के बाद दो तत्कालीन वरिष्ठ कोषागार अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है.

ट्रेजरी अफसरों को निलंबित कर जांच शुरू
2010 से 2015 के बीच जिले में तैनात रहे वरिष्ठ कोषाधिकारी और इस दौरान प्रयागराज विकास प्राधिकरण में तैनात दीपंकर शुक्ला को निलंबित कर दिया गया है, जिनके यूजर से करीब 1 करोड़ 23 लाख 51 हजार से अधिक अनियमित्ता किये जाने का आरोप है. उसी क्रम में 2015 से 2017 तक जिले में वरिष्ठ कोषाधिकारी के पद पर तैनात रहे और मौजूदा समय मे कोषागार निदेशालय में तैनात संयुक्त निदेशक देवी प्रसाद के ऊपर करीब 2 करोड़ 85 लाख 87 हजार रुपये के गबन का आरोप है. इन दोनों तत्कालीन वरिष्ठ ट्रेजरी अफसरों को निलंबित कर जांच बैठाई गई है.

अरबों के घोटाले का शक
वहीं इस मामले की जानकारी जब एक सोशल एक्टिविस्ट और अधिवक्ता आशीष सिंह से ली गई तो उन्होंने इस पेंशन घोटाले का आंकड़ा अरबों में होने की संभावना जताई. उन्होंने कहा कि वह विगत लंबे समय से इसका पर्दाफाश करने में लगे हैं. शासन और इसमें लिप्त अन्य कोषाधिकारीयों से उन्होंने पत्राचार भी किया है. उन्होंने कहा कि शासन को इस पेंशन घोटाले की और गहनता से जांच करवाने पर गबन का आंकड़ा अरबों में जायेगा.

जिलाधिकारी ने गठित की थी टीम
वहीं उन्होंने तमाम संगीन आरोप भी जिम्मेदार अफसरों पर लगाए और विधिवत रूप से इस घोटाले के बारे में अवगत भी कराया. सिटी मजिस्ट्रेट जंगबहादुर यादव ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार जिलाधिकारी ने एक टीम गठित की थी, जिसके द्वारा की गई जांच में वित्तीय अनियमित्ता सामने आने पर उक्त कार्रवाई की गई है. इसमें दो तत्कालीन कोषाधिकारियों दीपंकर शुक्ला और देवी प्रसाद को निलंबित कर उनके ऊपर जांच बैठा दी गई है.

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