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हरदोई में हजारों कुओं की बदलेगी सूरत

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में हजारों कुओं का जीर्णोद्धार कराया जाएगा. यह कार्य मनरेगा के तहत कराया जाएगा. जिलाधिकारी पुलकित खरे ने इसके लिए सारी तैयारियां कर ली हैं.

हरदोई में हजारों कुओं की जल्द ही बदलेगी सूरत
हरदोई में हजारों कुओं की जल्द ही बदलेगी सूरत

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Published : Jul 1, 2020, 8:35 PM IST

हरदोई: जिले में मौजूद 17 हजार से अधिक कुओं का कायाकल्प करने की तैयारी जिलाधिकारी पुलकित खरे ने कर ली है. मनरेगा के तहत इन हजारों कुओं का जीर्णोद्धार कराया जाएगा, जिससे कि भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाने में ये कुएं भी अपना योगदान दे सकें. इन कुओं की सूची विकास विभाग के साथ ही जल निगम को भी सौंपी गई है. मनरेगा में उपलब्ध बजट से विकास विभाग और जल निगम के जिम्मेदार कुओं को संरक्षित करने के लिए कार्य करेंगे.

5 तहसीलों में मौजूद हैं हजारों कुएं
हरदोई जिले की सदर तहसील में कुल 6427 कुएं हैं, जिनमें से 880 कुएं प्रयोग में हैं और 5547 बंद पड़े हैं. शाहाबाद तहसील में कुल 2407 कुएं हैं, जिनमें से 382 प्रयोग में और 2115 बंद पड़े हैं. संडीला में कुल कुओं की संख्या 5472 है, जिनमें से 313 प्रयोग में हैं और 5159 बंद पड़े हैं.

बिलग्राम में मौजूद 1910 कुओं में से 96 प्रयोग में हैं और 1814 बंद पड़े हुए हैं. वहीं सवायजपुर में 850 में से 88 प्रयोग में हैं और 762 बंद पड़े हुए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक जिले में कुल 17156 कुएं मौजूद हैं, जिनमें से अधिकतर बंद पड़े हैं. आलम यह है कि आज के अत्याधुनिक युग में कुओं का अस्तित्व खोता नजर आने लगा है. इसी के दृष्टिगत और कुओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से कुओं के संरक्षण की इस मुहिम को शुरू किया गया है.

मनरेगा के तहत होगा कायाकल्प
जिलाधिकारी पुलकित खरे ने जानकारी दी कि मानसून में होने वाली बारिश का पानी भूगर्भ तक पहुंचाने के लिए तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं, जिससे कि जल संरक्षित किया जा सके. इसके लिए मनरेगा के तहत जल संरक्षण को लेकर तमाम कार्य कराए जा रहे हैं. इसी के अंतर्गत जिले में मौजूद कुल 17156 में से बंद पड़े कुओं को जल्द ही शुरू कराया जाएगा. इसके साथ ही प्रयोग में लाये जा रहे कुओं के पानी को स्वच्छ बनाये रखने के लिए इन्हें विकसित कराया जाएगा. इन कुओं का संरक्षण करने के लिए कवायद शुरू हो गई है. इसके लिए विकास विभाग को भी निर्देशित किया गया है कि कुओं में शुद्ध जल की उपलब्धता व भूगर्भ में जलस्तर को बढ़ाने के लिए सभी तकनीकी सुविधाओ का सहयोग करें.

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